रामतीर्थ गीतावली | Ramtirtha Gitawali

रामतीर्थ गीतावली : डॉ लक्ष्मीनारायण मैड | Ramtirtha Gitawali : Dr Laxminarayan Maid

रामतीर्थ गीतावली : डॉ लक्ष्मीनारायण मैड | Ramtirtha Gitawali : Dr Laxminarayan Maid के बारे में अधिक जानकारी :

इस पुस्तक का नाम : रामतीर्थ गीतावली है | इस पुस्तक के लेखक हैं : laxminarayn maid | laxminarayn maid की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : | इस पुस्तक का कुल साइज 1 MB है | पुस्तक में कुल 41 पृष्ठ हैं |नीचे रामतीर्थ गीतावली का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | रामतीर्थ गीतावली पुस्तक की श्रेणियां हैं : Biography, dharm, hindu

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पुस्तक का साइज : 1 MB
कुल पृष्ठ : 41

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रामतीर्थ रख नाम को, गए भवन हपय ।। वात-श्रीरामतीर्थजी का जन्म और नामकणं इस प्रकार हुआ, और आप बड़े लाडूचाव से पलते रहे । यहाँ तक कि दो वर्ष की आयु में ही आपकी सगाई भी हो गई । जय अइए कुछ बढ़े हुए, तो एक दिन अापके पिता हीरानंदजी आपको एक मंदिर में श्रीकृष्णजी की कथा सुनने के लिये अपने साथ ले गए।
उस गाँव सुरालवाला में, एक मंदिर सबसे शाला था । होता था कृष्ण-चरित्र वहाँ, जो सच सुख देनेवाला था । उस जगह पर कथा सुनने को, बहुतेरे श्रोता श्राते थे। रामतीर्थ को साथ लिए, वह हीरानंद भी जाते थे । बचपन से ही कृष्ण-भक्क, श्री तीथरामजी ऐसे थे। चुपचाप कथा सुनते रहते, नहीं कभी वहाँ पर रोते थे । जो बात वहाँ पर सुनते थे, वह उसे कंठ कर लेते थे। फिर घर आकर बुआजी ले, उत्तर प्रत्युत्तर करते थे । दोहा---अभाग्यवश कम उम्र में, हुआ था अञ्ज-प्रहरि ।
माताजी संयोग-चश, गई परलोक सिधार ॥ वात-श्री तीर्थरामजी की नौ मास की ही आयु में माताजी को देहान्त हो गया था, जिसके कारण उनकी बुआ ने उन्हें पाला था। जब आप कुछ बड़े हुये, तो आपके पिता हीरानंदजी ने आपको गाँव के प्राइमरी स्कूल में पढ़ने के लिये बैठा दिया । दोहा--विद्यालय में राम का, हुआ प्रवेश इस तौर।।
तभी हृदय की धारणा, हुई और की और ॥

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