रस-मीमांसा | Rasa-Mimansa

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रस-मीमांसा | Rasa-Mimansa

रस-मीमांसा | Rasa-Mimansa के बारे में अधिक जानकारी :

इस पुस्तक का नाम : रस-मीमांसा है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Acharya Ramchandra Shukla | Acharya Ramchandra Shukla की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : | इस पुस्तक का कुल साइज 37.4 MB है | पुस्तक में कुल 516 पृष्ठ हैं |नीचे रस-मीमांसा का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | रस-मीमांसा पुस्तक की श्रेणियां हैं : Knowledge

Name of the Book is : Rasa-Mimansa | This Book is written by Acharya Ramchandra Shukla | To Read and Download More Books written by Acharya Ramchandra Shukla in Hindi, Please Click : | The size of this book is 37.4 MB | This Book has 516 Pages | The Download link of the book "Rasa-Mimansa" is given above, you can downlaod Rasa-Mimansa from the above link for free | Rasa-Mimansa is posted under following categories Knowledge |

पुस्तक के लेखक :
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पुस्तक का साइज : 37.4 MB
कुल पृष्ठ : 516

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काव्य की मीमांसा भारत में बहुत प्राचीन काल से होती आ रही है। काव्य के श्रव्य और दृश्य भेद भी पुरातन हैं और जहाँ तक काव्य-मीमांसा की बात है दोनों में मान्यताएँ भी भिन्न भिन्न रही हैं। आगे चलकर दोनों का एकीकरण हो गया। अव्य-काब्य के मीमांसक वाणी के वैचित्र्य को काव्य का लक्षण मानते थे और दृश्य-काव्य के विवेचक रस को एक पक्ष की दृष्टि निर्मित कृति पर थी और दूसरे की उसके प्रभाव परिणाम पर एक कत को देखता था, दूसरा ग्राहक को एक कथन और कथनकतों को सामने रखता था और दूसरा दृश्यत्व और दर्शक को 'शब्दार्थों सहितौ काव्यम्' कहनेवाला रस-भाव से अपरिचित रहा हो ऐसी बात नहीं है ।

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