सभ्य मानव का इतिहास | Sabhy Manav Ka Itihas के बारे में अधिक जानकारी :
इस पुस्तक का नाम : सभ्य मानव का इतिहास है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Bhagwat Sharan Upadhyaya | Bhagwat Sharan Upadhyaya की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : Bhagwat Sharan Upadhyaya | इस पुस्तक का कुल साइज 9 MB है | पुस्तक में कुल 176 पृष्ठ हैं |नीचे सभ्य मानव का इतिहास का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | सभ्य मानव का इतिहास पुस्तक की श्रेणियां हैं : Biography
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सिद्धार्थ को यद्यपि धनुविद्या का बहुत अच्छा अभ्यास था, किन्तु वह शिकार करने नहीं जाते थे। अकारण ही भोले-भाले पशुओं को मारते या चोट पहुँचाते, उनका चित्त दुःखी होता था। उनका एक चचेरा भाई था देवदत्त उसे शिकार का बहुत शौक था । एक बार की बात है कि उसने एक उड़ते दुए हंस को तीर मारा। वह हंस घायल होकर भूमि पर आ गिरा। सिद्धार्थ पास ही बैठे थे। उन्होंने दौड़कर उस हंस को उठा लिया और बड़ी दया के साथ उसकी मरहम-पट्टी की। जब तक हंस घायल था, तब तक तो देवदत्त ने कुछ न कहा; पर जब हंस स्वस्थ होकर चलने-फिरने लगा, तो उसने दावा किया कि यह हंस मेरा है; अतः मुझे दिलवाया जाय । जब बात बढ़ते-बढ़ते न्यायाधीशों के पास पहुंची, तो उन्होंने दोनों का पक्ष सुनकर निर्णय दिया कि हंस सिद्धार्थ का ही है। देवदत्त ने तो हंस को मारने का यत्न किया था।