समर्पण और साधना | Samrpan Aur Sadhna के बारे में अधिक जानकारी :
इस पुस्तक का नाम : समर्पण और साधना है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Bhawaniprasad Mishr | Bhawaniprasad Mishr की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : Bhawaniprasad Mishr | इस पुस्तक का कुल साइज 9MB है | पुस्तक में कुल 462 पृष्ठ हैं |नीचे समर्पण और साधना का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | समर्पण और साधना पुस्तक की श्रेणियां हैं : Granth
Name of the Book is : Samrpan Aur Sadhna | This Book is written by Bhawaniprasad Mishr | To Read and Download More Books written by Bhawaniprasad Mishr in Hindi, Please Click : Bhawaniprasad Mishr | The size of this book is 9MB | This Book has 462 Pages | The Download link of the book "Samrpan Aur Sadhna " is given above, you can downlaod Samrpan Aur Sadhna from the above link for free | Samrpan Aur Sadhna is posted under following categories Granth |
पुस्तक का एक अंश नीचे दिया गया है : यह अंश मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियाँ संभव हैं, इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये |
बीमती जानी चज्ञान देश की प्रमुख महिलाओं में से हैं। सथ सीमा से लेकर समाज के सभी स्तरों में उनकी सपा का स्नेह और आर प्राप्त हुआ है। भारत सरवार ने उन्हें ‘पद्मविभूषण' को उपाधि से विभूषित वरपे उनके प्रति इम माय घारणा सा ही स्वीकार किया है । सार्वजगिर न में भीगती जानीदेवी 'जानकी मया' या 'माता' होती है। यह भी उनके प्रति हमार अग्रभाव को पन करता है। थोमतो जानोदयी या अनेक महापुरप में सानिध्य में हर समाज तथा राष्ट्र की सेवा के लिए अपना जीवन समर्पित फ्रने गा दुलभ अवसर प्राप्त हुआ है। पलत उनका जीवन त्याग और तपस्यो पी एम पहानी बन गया है। कुछ नि प्रय जब उनी अस्सीव घपगढ़ यो रामारोह प्रवर' मनाने का विचार सामने बाया तो सोचा गया नि उनके निमित्त एक ऐसा नृप तयार किया जाय, जिसमें अच यात के कार्य प्रापोनपाप से तार अबतर में नारी-समाज द्वारा की गई प्रगति को चाकी रहे। यह काम कठिा था, फिर भी हमने मित्रों की सहायता से ग्रंथ को एक रूपरेखा बनाई और उसका परिणत स्वरूप आज अापके हायों में देते हुए हम ही हो रहा है ।