सम्यग्ज्ञान चन्द्रिका खंड 1 | Samyag Gyan Chandrika Khand – I

सम्यग्ज्ञान चन्द्रिका खंड 1 | Samyag Gyan Chandrika Khand – I

सम्यग्ज्ञान चन्द्रिका खंड 1 | Samyag Gyan Chandrika Khand – I के बारे में अधिक जानकारी :

इस पुस्तक का नाम : सम्यग्ज्ञान चन्द्रिका खंड 1 है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Yashpal Jain | Yashpal Jain की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : | इस पुस्तक का कुल साइज 20.5 MB है | पुस्तक में कुल 438 पृष्ठ हैं |नीचे सम्यग्ज्ञान चन्द्रिका खंड 1 का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | सम्यग्ज्ञान चन्द्रिका खंड 1 पुस्तक की श्रेणियां हैं : Granth

Name of the Book is : Samyag Gyan Chandrika Khand – I | This Book is written by Yashpal Jain | To Read and Download More Books written by Yashpal Jain in Hindi, Please Click : | The size of this book is 20.5 MB | This Book has 438 Pages | The Download link of the book " Samyag Gyan Chandrika Khand – I" is given above, you can downlaod Samyag Gyan Chandrika Khand – I from the above link for free | Samyag Gyan Chandrika Khand – I is posted under following categories Granth |

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पुस्तक का साइज : 20.5 MB
कुल पृष्ठ : 438

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आचार्य नेमीचन्द्र सिद्धान्तचक्रवर्ती विरचित गोम्मटसारे कर्मकाण्ड की आचार्यकल्प पण्डित टोडरमलजी कृत भाषाटीका, जो सम्यग्ज्ञानचन्द्रिका के नाम से विख्यात है, के द्वितीय खण्ड का पूर्वार्द्ध प्रकाशन करते हुए हमे हार्दिक प्रसन्नता का अनुभव हो रहा है ।
दिगम्बराचार्य नेमीचन्द्र सिद्धान्तचक्रवर्ती करणानुयोग के महान् आचार्य थे। गोम्मटसार जीवकाण्ड, गोम्मटसार कर्मकाण्ड, लब्धिसार, क्षपणासार, त्रिलोकसार तथा द्रव्यसग्रह ये महत्त्वपूर्ण कृतियाँ आपकी प्रमुख देन है। पण्डितप्रवर टोडरमलजी ने गोम्मटसार जीवकाण्ड व कर्मकाण्ड तथा लब्धिसार व क्षपणासोर की भाषाटीकाएँ पृथक-पृथक बनाई थी। चूंकि ये चारों टीकाएँ परस्पर एक दूसरे से सम्बन्धित तथा सहायक घी, अत सुविधा की दृष्टि से उन्होने उक्त चारो टीकाओ को मिलाकर एक ही ग्रन्थ के रूप में प्रस्तुत कर दिया तथा इस ग्रन्थ का नामकरण उन्होने “सम्यग्ज्ञानचन्द्रिका" किया।

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