साड़ख्य दर्शन की ऐतिहासिक परम्परा | Sankhya Darshan Ki Aitihasik Parampara

साड़ख्य दर्शन की ऐतिहासिक परम्परा | Sankhya Darshan Ki Aitihasik Parampara

साड़ख्य दर्शन की ऐतिहासिक परम्परा | Sankhya Darshan Ki Aitihasik Parampara

साड़ख्य दर्शन की ऐतिहासिक परम्परा | Sankhya Darshan Ki Aitihasik Parampara के बारे में अधिक जानकारी :

इस पुस्तक का नाम : साड़ख्य दर्शन की ऐतिहासिक परम्परा है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Addya Prasad Mishra | Addya Prasad Mishra की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : | इस पुस्तक का कुल साइज 54.03 MB है | पुस्तक में कुल 355 पृष्ठ हैं |नीचे साड़ख्य दर्शन की ऐतिहासिक परम्परा का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | साड़ख्य दर्शन की ऐतिहासिक परम्परा पुस्तक की श्रेणियां हैं : history

Name of the Book is : Sankhya Darshan Ki Aitihasik Parampara | This Book is written by Addya Prasad Mishra | To Read and Download More Books written by Addya Prasad Mishra in Hindi, Please Click : | The size of this book is 54.03 MB | This Book has 355 Pages | The Download link of the book "Sankhya Darshan Ki Aitihasik Parampara" is given above, you can downlaod Sankhya Darshan Ki Aitihasik Parampara from the above link for free | Sankhya Darshan Ki Aitihasik Parampara is posted under following categories history |

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पुस्तक का साइज : 54.03 MB
कुल पृष्ठ : 355

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सन् १९५१ की जनवरी में जब मेरी नियुक्ति प्रयाग विश्वविद्यालय में हुई तो मैं सागर विश्वविद्यालय से कुछ कम तीन वर्षों का स्नेह-सम्बन्ध छुड़ा कर प्रयाग मा गया। आने के समय से ही स्नातकोत्तर कक्षाओं में भारतीय दर्शनों के अध्यापन का भार मुझे सौंपा गया। एम० ए० प्रथम वर्ष के दर्शन-प्रश्नपत्र केतीन पाठ्य-ग्रन्थों में एक 'सांप्रतत्त्वकौमुदी' नामक ग्रन्थ भी था, जो आज भी पूर्ववत् ही पाठ्य-ग्रन्थ है यह ग्रन्थ अन्य दोनों ही ग्रन्थों की अपेक्षा सुकुमार-मति छात्रों के लिए कुछ अधिक प्रौढ़ एवं क्लिष्ट है । उन दिनों इसे पढ़ाते समय छात्र प्रायः कहते-''गुरु जी ! जैसी व्याख्या आप इस ग्रन्थ की करते हैं, वैसी कम से कम हिन्दी में तो नहीं ही मिलती।

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