शारदा शिखर भाग – २ | Sharda Shikhar Bhag – 2

शारदा शिखर भाग – २ | Sharda Shikhar Bhag – 2

शारदा शिखर भाग – २ | Sharda Shikhar Bhag – 2 के बारे में अधिक जानकारी :

इस पुस्तक का नाम : शारदा शिखर भाग – २ है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Acharya Shri Nemichandra | Acharya Shri Nemichandra की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : | इस पुस्तक का कुल साइज 19 MB है | पुस्तक में कुल 576 पृष्ठ हैं |नीचे शारदा शिखर भाग – २ का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | शारदा शिखर भाग – २ पुस्तक की श्रेणियां हैं : Biography

Name of the Book is : Sharda Shikhar Bhag – 2 | This Book is written by Acharya Shri Nemichandra | To Read and Download More Books written by Acharya Shri Nemichandra in Hindi, Please Click : | The size of this book is 19 MB | This Book has 576 Pages | The Download link of the book "Sharda Shikhar Bhag – 2 " is given above, you can downlaod Sharda Shikhar Bhag – 2 from the above link for free | Sharda Shikhar Bhag – 2 is posted under following categories Biography |

पुस्तक के लेखक :
पुस्तक की श्रेणी :
पुस्तक का साइज : 19 MB
कुल पृष्ठ : 576

यदि इस पेज में कोई त्रुटी हो तो कृपया नीचे कमेन्ट में सूचित करें |
पुस्तक का एक अंश नीचे दिया गया है : यह अंश मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियाँ संभव हैं, इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये |

भारतवर्ष विभिन्न भाषा-भाषियों के राष्ट्र है। एक भाषा के ग्रन्त्र या पुस्तक का दूसरी भाषा में अनुवाद हो जाने पर दूसरी भाषागाने उसके एम पी पुस्तक में शित विचारों से साभाविना को है । जैनधर्म के वर्तमान में युवा दो सम्प्रदाय हैं : दिगम्बर और श्वेताम्बर श्वेताम्बरों में मुख्यतया तीन उपसम्प्रदाय [ शेताम्या मूर्ति मूलक, श्वेत-स्थानकवासी और श्वेत-तेरापंथी । श्वेताम्य स्थानकवासी उपसम्प्रदाय में प्रान्तीय ईष्ट से अथवा आद्य महान् एवं कौर क्रिया पात्र की दृष्टि से कई शाखाएँ हो गई । पूर्व में भी देताम्मर कम्प्रदाय में ऐसी कई शाखाएँ - अणाएँ थी, आज भी हैं । उनकासी उपसम्प्रदाय को एक का हैं - भात (स्तम्पतीअप्प्रदाय खम्भात-सम्प्रदाय में बालश्रह्मचारिणी प्रतिभाशाली विडुप प्रणर यक्ली हुई हैं - शारदाबाई चासतीजी । व्याख्यान शास्त्रीय आपार को लेकर बहुत ही हृदयस्पर्शी, प्रेरणादायक जीवन को बदल देनेवाले होते में । गुगत में उनके व्याख्यानों की म मची हुई थी । गुजरात के अलावा मी मुंबई, महास, बैंगलौर, महाराष्ट्र आदि मैं भी उनके व्याख्यान लोकप्रिय हुए हैं । गुजरातो-भागी लोगों ने उनके व्याख्यानों की कई बी पुस्तके प्रकाशित हुई है। यया-'शारदा शिरोमणि', 'शारदा सिद्धि', 'शारदा ज्योत', 'शारदा सुकानो' इत्यादि । हिन्दीभाषी सौगों के पवित्र अनुरोध 'शारदा सिद्धि', 'शारदा शिरोमणि', 'शारदा पोश', 'शारदा राकानी' हि हि भाषा में भी प्रकाशित हो चुकी है । गत वर्ष बा. रा. बिपी शनायाई भासतीजी का चातुर्मास बैंगलौर था । बैंगलोर के कतिपय भी लोगों ने उनसे प्रार्थना बीं कि 'शारदा शिखा' का भी हिदी भासा में अनुवाद में जाए तो हम सब हिदीं माप लाभ ले के पवित्र हो सकते हैं । बैंगलोर में विराजित यं. न मयुरभाषी श्री विमलन एवं प्रवक्ता श्री बीरेन्द्रमुनिज से माहासती रंजनायाई नै हिंदी अनुवाद के विषय में बातचीत की। श्री विमलमुनि । मेरा गीन आराया । फलत ने उन पर IT का पा र संग में किया कि आप 'शारदा शिखर' का हिंदी में अनाद कर दें । व्याख्यान के विषय के अनुरूप गम शीर्षक भी लगा ।

Share this page:

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *