श्री ज्ञानेश्वर चरित्र : लक्ष्मण रामचंद्र पांगारकर हिंदी पुस्तक मुफ्त डाउनलोड | Shree Gyaneshwar Charitra : Lakshman Ramchandra Pangarkar Book Free Download के बारे में अधिक जानकारी :
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२ सन्तोंकी उक्तियाँ इत्यादिसे सहायता छेकर मैंने यह ग्रन्थ तैयार किया है। चरित्र और ग्रस्थविवेचयन दोनों एक साथ होनेसे मु यह आशा है कि यह ग्रव्थ सच सच्त-सज्नोंकों स्ीकार होगा 1 प्राथना यह है कि इसमें जो कमी रद्द गयी दो चह पूरो कर लें 1 मेरी इस सन्त-चरित्र-पााका क्या रुख रहेगा? इसका विवेचन मैं श्रीएकनाथ-चरित्रकी प्रस्तावनामें कर चुका हूँ। सन्तों- का चरितन्नकार सास्प्रदायिक भक्त काव्य-ममंज्ञ रसिक और इति- हासज्ञ चिकित्सक होना चाहिये इस बातको ध्यानमें रखते हुए हरिहदरिभक्त और दरिनामके प्रति अपना और अपने पाठकोंका प्रेम और आदर बढ़े सन्त चरित्रोंके दपंणमें हम अपने निज रूप निहार सकें और तुकाराम महाराजके शब्दोंमें एक दूसरेकी सहायता कर सभी सुपस्थ घरें और श्रीदरि-प्रेमके पात्र हों इसी मुख्य हेतुसे यह सन्त-चरित्र-माठा तैयार की जा रही है | इस चरित्रके पश्चात् श्रीतुकाराम श्रीनामदेव श्रीरामदास श्रीकृष्ण श्रीराम- के चरित्र क्रमसे मददाराप्रकी सेवामें सादर उपस्थित किये जायेंगे । अब इस ग्रन्थमें कहाँ केखे किस विपयका निरुपण किया गया। है इसका संक्षे प्में दिग्द्शन कराता हूँ 1 पहला अध्याय श्रीज्ञाने- इचरकालीन महाराद्र है। इसमें मदाराजके समयमें महारा प्रकी राजनीतिक साहित्यिक और धार्मिक परिस्थिति क्या थी इसका इतिहासकी ट्रष्टिसि विवेचन किया है। देवगिरिके जाघव- राजा भास्कराचाय हेमादरि योपदेव भागवत श्रन्थका