श्री गोम्मटसार विधान | Shri Gommatsar Vidhan के बारे में अधिक जानकारी :
इस पुस्तक का नाम : श्री गोम्मटसार विधान है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Rajmal Pavaiya | Rajmal Pavaiya की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : Rajmal Pavaiya | इस पुस्तक का कुल साइज 10 MB है | पुस्तक में कुल 286 पृष्ठ हैं |नीचे श्री गोम्मटसार विधान का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | श्री गोम्मटसार विधान पुस्तक की श्रेणियां हैं : Poetry
Name of the Book is : Shri Gommatsar Vidhan | This Book is written by Rajmal Pavaiya | To Read and Download More Books written by Rajmal Pavaiya in Hindi, Please Click : Rajmal Pavaiya | The size of this book is 10 MB | This Book has 286 Pages | The Download link of the book "Shri Gommatsar Vidhan" is given above, you can downlaod Shri Gommatsar Vidhan from the above link for free | Shri Gommatsar Vidhan is posted under following categories Poetry |
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पूज्य सिद्धान्त चक्रवर्ती श्री नेमिचन्द्राचार्य द्वारा रचित करणानुयोग का महान ग्रन्थ्य गोम्मटसार है- इसे गोम्मट संग्रह सूत्र, और पंच संग्रह भी कहा जाता है । पूर्व में भी कसाय पाहुड एवं घटखंडागम के आधार पर ये विषय पंच संग्रह के नाम से प्रसिद्ध थे - पंच संग्रह नाम के चार ग्रंथ उपलब्ध हैं- २ प्राकृत, २ संस्कृत में । पचसंग्रह में जीवसमास, प्रकृति समुत्कीर्तन, कर्मस्तवशतक और सप्ततिका आदि पंच संग्रहनाम भी उचित है पंच संग्रह के अंत में एक वाक्य लिखा है "इतिपंचसंगहो समत्तो।" संस्कृत पंच संग्रह में इसकी परिभाषा की है-जो बन्धक, बध्यमान, बंधक स्वामी, बंध के कारण और बंध के भेद कहता है वह पंचसंग्रह है । इस पंच संग्रह के लघु भ्राता का नाम गोम्मट संग्रह उचित भी है ।