सुन्दरकाण्ड पुनर्पाठ | Sundarkaand Punarpaath

सुन्दरकाण्ड पुनर्पाठ | Sundarkaand Punarpaath

सुन्दरकाण्ड पुनर्पाठ | Sundarkaand Punarpaath

सुन्दरकाण्ड पुनर्पाठ | Sundarkaand Punarpaath के बारे में अधिक जानकारी :

इस पुस्तक का नाम : सुन्दरकाण्ड पुनर्पाठ है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Manoj Shrivastava | Manoj Shrivastava की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : | इस पुस्तक का कुल साइज 145 MB है | पुस्तक में कुल 680 पृष्ठ हैं |नीचे सुन्दरकाण्ड पुनर्पाठ का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | सुन्दरकाण्ड पुनर्पाठ पुस्तक की श्रेणियां हैं : dharm

Name of the Book is : Sundarkaand Punarpaath | This Book is written by Manoj Shrivastava | To Read and Download More Books written by Manoj Shrivastava in Hindi, Please Click : | The size of this book is 145 MB | This Book has 680 Pages | The Download link of the book "Sundarkaand Punarpaath" is given above, you can downlaod Sundarkaand Punarpaath from the above link for free | Sundarkaand Punarpaath is posted under following categories dharm |

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पुस्तक का साइज : 145 MB
कुल पृष्ठ : 680

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यह सही है कि धार्मिक और संप्रदायवादी व्याख्याकारों ने उसमें अपने-अपने मत-मतान्तर प्रक्षेपित किये हैं, किन्तु यह रामचरितमानस' की लोकप्रियता का ही परिचायक है। यह प्रक्रिया अभी भी चल रही है। एक तरफ इससे कुछ लोग हिन्दुत्व' को रेखांकित करना चाहते हैं, तो कुछ ऐसे भी हैं जो इसे 'ब्राह्मणवाद' की एक और मनुस्मृति' मानकर ‘दलित विमश्र कर रहे हैं। कुछ वर्ग इससे सामाजिक प्रतिगामिता की प्रेरणा ले रहे हैं और रामराज्य' की 'स्वनिर्भर दुनिया की तलाश में हैं। डोंगरे महाराज, रामकिंकर उपाध्याय मुरारी बापू, जैसे प्रवचनकार उसमें सनातन मूल्यों को खोजते हैं जो लोकमंगलकारी है।

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