उपनिषदों की वाणी | UpanishadonKi Vani

उपनिषदों की वाणी | UpanishadonKi Vani

उपनिषदों की वाणी | UpanishadonKi Vani के बारे में अधिक जानकारी :

इस पुस्तक का नाम : उपनिषदों की वाणी है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Swami Ranganathananda | Swami Ranganathananda की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : | इस पुस्तक का कुल साइज 50.3 MB है | पुस्तक में कुल 252 पृष्ठ हैं |नीचे उपनिषदों की वाणी का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | उपनिषदों की वाणी पुस्तक की श्रेणियां हैं : Spirituality -Adhyatm

Name of the Book is : UpanishadonKi Vani | This Book is written by Swami Ranganathananda | To Read and Download More Books written by Swami Ranganathananda in Hindi, Please Click : | The size of this book is 50.3 MB | This Book has 252 Pages | The Download link of the book "UpanishadonKi Vani " is given above, you can downlaod UpanishadonKi Vani from the above link for free | UpanishadonKi Vani is posted under following categories Spirituality -Adhyatm |


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पुस्तक का साइज : 50.3 MB
कुल पृष्ठ : 252

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उपनिषदों की वाणी, तीन मुख्य उपनिषदों अर्थात् ईश, केन, कठ, का इलोकवार अध्ययन है। प्रथम में अठारह, द्वितीय में पैतीस, और तृतीय में एक सो उन्नीस श्लोक हैं। यद्यपि समग्र औपनिषदिक साहित्य का यह एक छोटा अंश है तथापि इन तीनों में इस अमर साहित्य के सारभूत विचारों की एक स्पष्ट व्याख्या है।उपनिषदों के रचनाकाल पर विद्वान् एकमत नहीं हैं। किन्तु अधिकांश इस पर सहमत हैं कि मुख्य उपनिषदों में से अधिकतर की रचना भगवान बुद्ध के अवतरण से पूर्व, ई० पू० सातवीं शती में हुई ।

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2 Comments
  1. अण्णा सोनवणे says

    आप ईश्वरका कार्य कर रहे हो.
    हमारी प्रार्थनाये आपके साथ.
    धन्यवाद
    अण्णा

    1. admin says

      कोटि कोटि आभार आपका |

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