वेदान्तसार : डॉ. आद्याप्रसाद मिश्र | Vedantsaaar : Dr. Adyaprasad Mishr के बारे में अधिक जानकारी :
इस पुस्तक का नाम : वेदान्तसार है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Dr. Adyaprasad Mishr | Dr. Adyaprasad Mishr की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : Dr. Adyaprasad Mishr | इस पुस्तक का कुल साइज 35.5 MB है | पुस्तक में कुल 188 पृष्ठ हैं |नीचे वेदान्तसार का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | वेदान्तसार पुस्तक की श्रेणियां हैं : dharm, hindu
Name of the Book is : Vedantsaaar | This Book is written by Dr. Adyaprasad Mishr | To Read and Download More Books written by Dr. Adyaprasad Mishr in Hindi, Please Click : Dr. Adyaprasad Mishr | The size of this book is 35.5 MB | This Book has 188 Pages | The Download link of the book "Vedantsaaar" is given above, you can downlaod Vedantsaaar from the above link for free | Vedantsaaar is posted under following categories dharm, hindu |
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भालो का तो 'पविशन्ति क्रिया के साथ अन्य बनता नहीं, क्योकि प्रवेश किया तो कोई जीवित पर्दाथ ही कर सकता है। भाले तो अट्ट पदार्थ हैं। अतः कुना का जुतधारिणः' अपत 'भाने वाले पुरुष ऐशा अर्थ लक्षणा से पण किया गया। इसमें ना तो परित्याग हुआ नहीं, उससे सम्बद्ध पुरुष का उपादान अग में हो गया। इसी प्रकार 'शोगों धावत प्रयोग भी है। गोण' का अर्थ नाल होता है। इस वर्ष का 'धावति' क्रिया के साथ पूर्वोक्त कारण में ही अन्य अनुपपन्न या असंगत है। इसलिए उसका प्रमगामारी 'शोणः अश्वः यह अर्थ प्रण किया गया। बाग का अर्थ है-लाल रंग का घोड़ा दौड़ता है।