वीर शिवाजी नाटक | Veer Shivaji Natak

वीर शिवाजी नाटक | Veer Shivaji Natak

वीर शिवाजी नाटक | Veer Shivaji Natak के बारे में अधिक जानकारी :

इस पुस्तक का नाम : वीर शिवाजी नाटक है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Unknown | Unknown की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : | इस पुस्तक का कुल साइज 04.3 MB है | पुस्तक में कुल 142 पृष्ठ हैं |नीचे वीर शिवाजी नाटक का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | वीर शिवाजी नाटक पुस्तक की श्रेणियां हैं : history

Name of the Book is : Veer Shivaji Natak | This Book is written by Unknown | To Read and Download More Books written by Unknown in Hindi, Please Click : | The size of this book is 04.3 MB | This Book has 142 Pages | The Download link of the book " Veer Shivaji Natak" is given above, you can downlaod Veer Shivaji Natak from the above link for free | Veer Shivaji Natak is posted under following categories history |

पुस्तक के लेखक :
पुस्तक की श्रेणी :
पुस्तक का साइज : 04.3 MB
कुल पृष्ठ : 142

यदि इस पेज में कोई त्रुटी हो तो कृपया नीचे कमेन्ट में सूचित करें |
पुस्तक का एक अंश नीचे दिया गया है : यह अंश मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियाँ संभव हैं, इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये |

तुम सुखी रहे। सानन्द रहा, मैं दुःखी हूँ परवाह नहीं मुझएर दुःस्रगिरि गिरपडे,किन्तु मुख से निकलेगी नहीं। दुः सह-से-ढुंह दुःख, नाथ मैं स्वयं सदा रह सकती हैं। पर तुमको दुखी देखकर, मैं सुख से न कहीं रह सकती हैं। तुम चाहे मुझे त दर्शन दा, पर दुनियाँ की उपकार करो मेर लुधि ले भूल जाओ, एर दीन जन को प्यार करो जग के बारे चाहनों का, दुख दूर करो, भय चूर करो अज्ञान अविद्या नष्ट फरो, दुष्ट का सारा दर्प हो तुम इसी रूह 'बेचैन रहा, मै नित्य किस वेचैन हैं ।

Share this page:

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *