पं० श्रीराम शर्मा आचार्य | Vyaktitva Parishkar Ki Sadhna

व्यक्तित्व परिष्कार की साधना : पं० श्रीराम शर्मा आचार्य | Vyaktitva Parishkar Ki Sadhna : Pt. Shreeram Sharma Acharya

व्यक्तित्व परिष्कार की साधना : पं० श्रीराम शर्मा आचार्य | Vyaktitva Parishkar Ki Sadhna : Pt. Shreeram Sharma Acharya के बारे में अधिक जानकारी :

इस पुस्तक का नाम : पं० श्रीराम शर्मा आचार्य है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Pt. Shreeram Sharma Acharya | Pt. Shreeram Sharma Acharya की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : | इस पुस्तक का कुल साइज 8.0 MB है | पुस्तक में कुल 18 पृष्ठ हैं |नीचे पं० श्रीराम शर्मा आचार्य का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | पं० श्रीराम शर्मा आचार्य पुस्तक की श्रेणियां हैं : inspirational, manovigyan

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पुस्तक का साइज : 8.0 MB
कुल पृष्ठ : 18

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यह प्रयोग मध्यान्ह काल में होता है। मुख्य मंच पर दीप प्रज्वलित करने, देव नगरकार करके, दोप यज्ञ के क्रम में २४ बार गायत्री महामंत्र स्वाहा सहित उच्चारित किया जाता है। भावना की जाती हैं कि युगसंधि काल में उ ल भविष्य की संरचना के लिए युगशक्ति का अवतरण हुआ है। इस प्रयोग द्वारा हमे युग चेतना के साथ आत्मचेतना का योग करना है। हम ज्योति को कर स्वयं भी ज्योतित हो रहे हैं। युग शक्ति की महा ज्योति में अपनी भावना-विधारण-साधना आदि को होम कर उनको अनेक गुना शक्तिशाली बना रहे हैं। इस प्रयोग के बीच साधक स्वष को सशरीर एक अपांति पुत्र के रूप में अनुभव करने लगता है। जाने-अनजाने ही विकारों का दहन होकर संस्कारों का उन्नयन होने लगता है। अपने अन्दर प्रदूत बनकर बढ़ने जैसी -युग नेतृत्व कर | सकने जैसी माता का विकास रोता अनुभव होता है।
| इस साधना के पश्चात् भी आधे घण्टे अपनी अनुतापरव जप किया आता है। इस प्रकार के दिन ध्यान प्रयोग के साथ जुड़ा हुने यह जप शान्य मनोभूमि में किये गये अप की अपेक्षा अनेक गुना अधिक प्रभावकारी होता है।

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2 Comments
  1. Sarfraz says

    I will uderstand this book

  2. Sarfraz says

    I like about this

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