यज्ञोंपवित संस्कार | Yagyopavit Sanskar के बारे में अधिक जानकारी :
इस पुस्तक का नाम : यज्ञोंपवित संस्कार है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Gyansagar ji Maharaj | Gyansagar ji Maharaj की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : Gyansagar ji Maharaj | इस पुस्तक का कुल साइज 4.8 MB है | पुस्तक में कुल 158 पृष्ठ हैं |नीचे यज्ञोंपवित संस्कार का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | यज्ञोंपवित संस्कार पुस्तक की श्रेणियां हैं : dharm
Name of the Book is : Yagyopavit Sanskar | This Book is written by Gyansagar ji Maharaj | To Read and Download More Books written by Gyansagar ji Maharaj in Hindi, Please Click : Gyansagar ji Maharaj | The size of this book is 4.8 MB | This Book has 158 Pages | The Download link of the book "Yagyopavit Sanskar" is given above, you can downlaod Yagyopavit Sanskar from the above link for free | Yagyopavit Sanskar is posted under following categories dharm |
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संस्कार शब्दका निरुक्ति द्वारा एक अर्थ तो यह है कि जो आत्मा अनादिकालीन कर्ममलजनित राग द्वेषादि विधम से मलिन था उसको शुद्ध बनाना संसारकी चारों अवस्थाओं में से मनुष्य अवस्थाही एक ऐसी है कि जिस के बिना यह जीव कभी भी उस विशुद्ध सिद्धावस्था का लाभ नहीं कर सकता। जब यह (विपय ) निर्विवाद सिद्ध है तो फिर यह भी निर्विवाद सिद्ध है कि जिस अवस्था मनुष्यदेह से यह जीव पग्म शुद्धिका लाभ करता है वह अवस्था भी विशुद्ध होनी चाहिये ।