लौटे हुए मुसाफिर : कमलेश्वर | Laute Hue Musafir : Kamaleshwar के बारे में अधिक जानकारी :
इस पुस्तक का नाम : लौटे हुए मुसाफिर है | इस पुस्तक के लेखक हैं : kamleshwar | kamleshwar की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : kamleshwar | इस पुस्तक का कुल साइज 8 MB है | पुस्तक में कुल 136 पृष्ठ हैं |नीचे लौटे हुए मुसाफिर का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | लौटे हुए मुसाफिर पुस्तक की श्रेणियां हैं : Stories, Novels & Plays
Name of the Book is : Laute Hue Musafir | This Book is written by kamleshwar | To Read and Download More Books written by kamleshwar in Hindi, Please Click : kamleshwar | The size of this book is 8 MB | This Book has 136 Pages | The Download link of the book "Laute Hue Musafir" is given above, you can downlaod Laute Hue Musafir from the above link for free | Laute Hue Musafir is posted under following categories Stories, Novels & Plays |
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भूमिका
स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद जिन लेखकों ने कथा-साहित्य को नयी दिशा प्रदान करने का महत्वपूर्ण कार्य किया उनमें कमलेश्वर भी एक नाम है। प्रेमचन्द के बाद हिन्दी-कथा-साहित्य जन-संस्पर्श से कट गया था। कल्पना और मनोविज्ञान की संकरी गली में भटक जाने के कारण अपने समकालीन समाज को सुचाइयों से दूर पड़ गया था। जीवन-संघर्ष की मुख्यधारा से कट जाने के कारण निर्जीव और एकातिक हो गया था। प्रेमचन्द की समाजोन्मुखी धारा से उसे फिर से जोड़ने और समकालीन जीवन-संदर्भ के कथानकों को मुख्य कथा-धारा में से आने का कार्य स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद नये लेखकों ने प्रारम्भ किया।
प्रमुख बात यह हुई कि देश के विभिन्न क्षेत्रों से आये लेखकों ने अपने स्थानीय थानकों को कहानियों और उपन्यासों में स्थान दिया। इस तरह हिन्दी कथा-साहित्य में पहली बार कथा-वस्तु का विस्तार
कपा-वस्तु के विस्तार के साथ नये-नये अपरिचित चरित्र, उनका व्यक्तिगत जीवन, उनके अपने नेत्र की विशेष भाषिक शब्दावली और जनके विशिष्ट जीवनानुभवों से हिन्दी कथा-साहित्य में एक नयीं साथ ही ऐसी ताजणी आयी जो इससे पहले के साहित्य में पहले कभी देखी नहीं गयी पी ।
कथोपकथनों द्वारा भाषा के क्षेत्र में इतने और ऐसे नये शब्द आये जिनसे हिन्दी भाषा का खजाना भर गया । जीवन के विभिन्न स्तरों से अपनी वर्गीय विशेषताओं वाले सर्वथा नये पात्रों से हिन्दी कथा-साहित्य का आँगन शोभित हो उठा । खेतों-खलिहानों में काम करने वाले मजदुर, अन्यायी सामन्त, सताये हुए भूमिहीन किसान, परम्पराग्रस्त बूढ़ी स्त्रिय, नयी-नयी आकांक्षाओं से भरे हुए युवक और समाज की धार्मिक ठाणों से मस्त पुराने और बूढ़े चरित्र अपनी क्षेत्रीय विशेषताओं के साथ इस