आर्याभिविनय हिन्दी ग्रंथ | Aaryabhivinaya Hindi Granth के बारे में अधिक जानकारी :
इस पुस्तक का नाम : आर्याभिविनय हिन्दी ग्रंथ है | इस पुस्तक के लेखक हैं : | की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : | इस पुस्तक का कुल साइज 31.82 MB है | पुस्तक में कुल 53 पृष्ठ हैं |नीचे आर्याभिविनय हिन्दी ग्रंथ का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | आर्याभिविनय हिन्दी ग्रंथ पुस्तक की श्रेणियां हैं : dharm, hindu
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जो परमात्मा, सबका आत्मा, सत् चित् आनन्दस्वरूप, अनन्त, अज, न्यायकारी, निर्मल, सदा पवित्र, दयालु, सब सामर्थ्यवाला हमारा इष्टदेव है वह हम को सहाय नित्य देवे, जिससे महाकठिन काम भी हम लोग सहज से करने को समर्थ हों। हे कृपानिधे ! यह काम हमारा अप ही सिद्ध करनेवाले हो, हम आशा करते हैं कि आप अवश्य हमारी कामना सिद्ध करेंगे ॥ १ ॥ संवत् १९३२ मिती चैत्र सुदी १० गुरुवार के दिन इस ग्रन्थ का आरम्भ किया है ।। २ ॥ बहुत सज्जन लोग, सबके हितकारक धर्मात्मा विद्वान् विचारशील जनों ने मुझसे प्रीति से कहा तब सब लोगों के हित और यथार्थ परमेश्वर का ज्ञान तथा प्रेम भक्ति यथावत् हो इसलिये इस ग्रन्थ का आरम्भ किया है ॥ ३॥ इस ग्रन्थ में केवल दो वेदों के मूल मन्त्रों का प्राकृतभाषा में व्याख्यान किया है। जिससे सब लोगों को सुखपूर्वक बोध हो और ब्रह्मज्ञान यथार्थ हो ॥ ४ ॥ इस ग्रन्थ में वेदमन्त्रों से सब सुखों को बढ़ानेवाली परमेश्वर की स्तुति, प्रार्थना व उपासना तथा धमादि विषय का वर्णन किया है ॥ ५॥