भाईजी चरितामृत | Bhaiji Charitamrit

भाईजी चरितामृत | Bhaiji Charitamrit

भाईजी चरितामृत | Bhaiji Charitamrit

भाईजी चरितामृत | Bhaiji Charitamrit के बारे में अधिक जानकारी :

इस पुस्तक का नाम : भाईजी चरितामृत है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Hanuman Prasad Poddar | Hanuman Prasad Poddar की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : | इस पुस्तक का कुल साइज 32.4 MB है | पुस्तक में कुल 327 पृष्ठ हैं |नीचे भाईजी चरितामृत का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | भाईजी चरितामृत पुस्तक की श्रेणियां हैं : dharm, Knowledge

Name of the Book is : Bhaiji Charitamrit | This Book is written by Hanuman Prasad Poddar | To Read and Download More Books written by Hanuman Prasad Poddar in Hindi, Please Click : | The size of this book is 32.4 MB | This Book has 327 Pages | The Download link of the book "Bhaiji Charitamrit" is given above, you can downlaod Bhaiji Charitamrit from the above link for free | Bhaiji Charitamrit is posted under following categories dharm, Knowledge |

पुस्तक के लेखक :
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पुस्तक का साइज : 32.4 MB
कुल पृष्ठ : 327

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जीवनके शिशुकाल में मुझे अपनी दादीजी श्रीरामकौर देवीसे- जिन्होंने मुझे गातासे कहीं अधिक स्नेह-यात्सल्य देकर पाला-पोसा था- बहुत अच्छी शिक्षा मिली। वे साधुओंकी बड़ी भक्त थीं। मैं समझता हूँ कि वे संत थीं। उनपर संतोंका बड़ा अनुग्रह रहता था। नाथ सम्प्रदायके कई संतश्रीलक्ष्मीनाथजी महाराज, ओबखन्नाथजी आदि जो उस समय पहुँचे हुए संत माने जाते थे- उन दिनों रतनगढ़ चुरू आते थे, रहते थे। दादीजीको उनका बड़ा संग रहता था। मैं समझता हैं- यह कहना नहीं चाहिए पर मेरा विश्वास है कि दादीजीको हनुमान्का साक्षात्कार हुआ था। हमारे घरमें उनकी बड़ी प्रतिष्ठा थी और आस पासके लोग भी उन्हें बहुत मानते थे। उनका असर मेरेपर भी पड़ा। महान् संत श्रीबखन्नाथजी महाराजकी कृपा मुझे दादीजीके कारण ही प्राप्त हुई थी। स्वामी हरिदासजी आदि महात्माओका प्रसाद भी उन्हींक कारण मिला था।

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