भारतीय वास्तुकला का इतिहास | Bhartiya Vastukala Ka Itihas के बारे में अधिक जानकारी :
इस पुस्तक का नाम : भारतीय वास्तुकला का इतिहास है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Krishna Dutt Vajpayi | Krishna Dutt Vajpayi की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : Krishna Dutt Vajpayi | इस पुस्तक का कुल साइज 09 MB है | पुस्तक में कुल 228 पृष्ठ हैं |नीचे भारतीय वास्तुकला का इतिहास का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | भारतीय वास्तुकला का इतिहास पुस्तक की श्रेणियां हैं : history, Knowledge
Name of the Book is : Bhartiya Vastukala Ka Itihas | This Book is written by Krishna Dutt Vajpayi | To Read and Download More Books written by Krishna Dutt Vajpayi in Hindi, Please Click : Krishna Dutt Vajpayi | The size of this book is 09 MB | This Book has 228 Pages | The Download link of the book "Bhartiya Vastukala Ka Itihas" is given above, you can downlaod Bhartiya Vastukala Ka Itihas from the above link for free | Bhartiya Vastukala Ka Itihas is posted under following categories history, Knowledge |
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स्थापत्य या वास्तु को एक ललित कला माना गया है। चित्रकारा, मूतिरूना, साहित्य | तगा नाट्य स्न्य मुख्य ललित कलाएँ हैं। भारतीष परम्परा में वास्तु को बेदाग ने सम्भूत कहा गया है। इसका विशेष सम्बन्ध ज्योतिष तथा ऋण के मात्र जोड़ा गया हैं। मापत्य को कुछ लेखकाने बार आवेदों में से एक स्वीकार किया है। स्याश्त्य भवन निर्माण कला है। प्रागैतिहासिक युग से मानन की जालन-रक्षा के लिए किसी आग को जावस्यकता पड़ी। प्रारम्भ में तगमूल उनकी शाखाएँ अथवा पर्वतों को कन्दरा आदिम जन के आग बने। इनमें पहाड़ की गुफाएँ (हिनाथपे) अधिक सुविधाजनक थी। अधिकांश मुफाएं प्राकृतिक थी।