Marathi Riyasat Madhyavibhag Bhag 1

मराठी रियासत मध्यविभाग 1 | Marathi Riyasat Madhyavibhag Bhag 1

मराठी रियासत मध्यविभाग 1 | Marathi Riyasat Madhyavibhag Bhag 1

मराठी रियासत मध्यविभाग 1 | Marathi Riyasat Madhyavibhag Bhag 1 के बारे में अधिक जानकारी :

इस पुस्तक का नाम : मराठी रियासत मध्यविभाग 1 है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Govind Sakharam Sardesai | Govind Sakharam Sardesai की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : | इस पुस्तक का कुल साइज 33.75 MB है | पुस्तक में कुल 472 पृष्ठ हैं |नीचे मराठी रियासत मध्यविभाग 1 का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | मराठी रियासत मध्यविभाग 1 पुस्तक की श्रेणियां हैं : history, Knowledge

Name of the Book is : Marathi Riyasat Madhyavibhag Bhag 1 | This Book is written by Govind Sakharam Sardesai | To Read and Download More Books written by Govind Sakharam Sardesai in Hindi, Please Click : | The size of this book is 33.75 MB | This Book has 472 Pages | The Download link of the book "Marathi Riyasat Madhyavibhag Bhag 1" is given above, you can downlaod Marathi Riyasat Madhyavibhag Bhag 1 from the above link for free | Marathi Riyasat Madhyavibhag Bhag 1 is posted under following categories history, Knowledge |

पुस्तक के लेखक :
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पुस्तक का साइज : 33.75 MB
कुल पृष्ठ : 472

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आरंभापासूनच शाहूच्या कारभाराचे एक मुख्य धारण अंग दिमन, की अनपक्षांश व विरोधकाशं शक्य तितके मामदामाने वागून त्यांजवर आपला शह बसवावयाचा. असे करण्यांन धाडाना अपमान किंवा नुकसान झाले नरी सहन करावयाचे, परंतु युद्ध करून प्राणहान करण्यास किंवा कटक शिक्षा देण्यास शाहूने मन सहमा धजत नसे. या त्याच्या मदु स्वभावाने कांही प्ररंगा फायेद झाल, नको नुकसानही झालं, अस वाणण्यास हरकत नाही, राजकारणांत हां हां अत्यंत निष्ठरपणा धारण करून प्रकरणे गंपवायी लागतात, व धाक बसवावा लागना. नमें न केल्यामुळे शाहूच अनेक व्यवहार रंगाळत चालले, हाताखालचे लोकांत शिस्त व ददृशन राहिली नाही,

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