रामायण मीमांसा | Ramayana Mimansa के बारे में अधिक जानकारी :
इस पुस्तक का नाम : रामायण मीमांसा है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Unknown | Unknown की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : Unknown | इस पुस्तक का कुल साइज 54.6 MB है | पुस्तक में कुल 1049 पृष्ठ हैं |नीचे रामायण मीमांसा का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | रामायण मीमांसा पुस्तक की श्रेणियां हैं : dharm
Name of the Book is : Ramayana Mimansa | This Book is written by Unknown | To Read and Download More Books written by Unknown in Hindi, Please Click : Unknown | The size of this book is 54.6 MB | This Book has 1049 Pages | The Download link of the book "Ramayana Mimansa " is given above, you can downlaod Ramayana Mimansa from the above link for free | Ramayana Mimansa is posted under following categories dharm |
पुस्तक का एक अंश नीचे दिया गया है : यह अंश मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियाँ संभव हैं, इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये |
श्रीसीता महालक्ष्मी का नाम ही 'श्री' है । भावार्थक प्रत्यय करने पर भी श्रीशब्द का अर्थ सेवा एवं भक्ति है उत्कट उत्कण्ठापूर्वक मन, बुद्धि, चित्त एवं अन्तःकरण तथा अन्तरात्मा का तन्मयतापूर्ण प्रियतम-परिष्वङ्ग ही 'सेवा' है, वही 'श्री' सीता हैं। वही "धीयते सर्वैर्गुणैर्या सा श्रीःके अनुसार सकल-कल्याणों की अधिष्ठात्री शक्तियों द्वारा सेव्या और वन्दनीया हैं । कान्ति, शान्ति, आभा, प्रभा, शोभा आदि सभी दिव्य शत्तियाँ उस श्रीसीता की सेविकाएँ हैं श्रीयते हरिणापि या सा श्रीः" के अनुसार श्रीराम भी उसी श्रीसीता की सेवा एवं आराधना करते हैं। आत्माराम का स्वरूपमाधुर्य ही आत्मा है। उसमें आसमन्तात् रमण करना ही आत्माराम की आत्मारामता है।