समाजवादी आदर्शों के आलोक में वेदान्त दर्शन का अनुशीलन | Samajwadi Adarshon Ke Alok Me Vedant Darshan ka Anushelan के बारे में अधिक जानकारी :
इस पुस्तक का नाम : समाजवादी आदर्शों के आलोक में वेदान्त दर्शन का अनुशीलन है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Unknown | Unknown की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : Unknown | इस पुस्तक का कुल साइज 44.58 MB है | पुस्तक में कुल 308 पृष्ठ हैं |नीचे समाजवादी आदर्शों के आलोक में वेदान्त दर्शन का अनुशीलन का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | समाजवादी आदर्शों के आलोक में वेदान्त दर्शन का अनुशीलन पुस्तक की श्रेणियां हैं : society
Name of the Book is : Samajwadi Adarshon Ke Alok Me Vedant Darshan ka Anushelan | This Book is written by Unknown | To Read and Download More Books written by Unknown in Hindi, Please Click : Unknown | The size of this book is 44.58 MB | This Book has 308 Pages | The Download link of the book "Samajwadi Adarshon Ke Alok Me Vedant Darshan ka Anushelan" is given above, you can downlaod Samajwadi Adarshon Ke Alok Me Vedant Darshan ka Anushelan from the above link for free | Samajwadi Adarshon Ke Alok Me Vedant Darshan ka Anushelan is posted under following categories society |
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वेदान्त -सम्मत समाजवाद आदिम और अविकसित प्रतीत हो सकता है । यह वैज्ञानिक-समाजवाद की अपेक्षा कम विकसित लग सकता है ।
यह अपनी पारमार्थिक दृष्टि, आध्यात्मिक और व्यक्तिवादी प्रवृत्ति के कारण रूढ़िवादी, क्रान्ति-विरोधी तथा अनाकर्षक प्रतीत हो सकता है, तथापि यह रक्तरंजित क्रान्ति, हिंसा, वर्ग-विदेष और वर्ग-संघर्ष के दोषों से मु५त होने के कारण वैज्ञानिक समाजवाद का एक आदर्श विकल्प बन सकता है, इसमें सन्देह नहीं अपूर्ण मानव द्वारा कल्पित कोई भी विचारधारा पूर्ण नहीं हो सकती अतः वैज्ञानिक समाजवादियों द्वारा व्यावहारिक वेदान्त की, रुढ़िवादी और क्रान्ति-विरोधी कहकर, आलोचना करना समीचीन नहीं वैज्ञानिक समाजवाद तो और भयंकर दोषों से ग्रस्त है, जो अन्ततोगत्वा अपनी हिंसा परक प्रवृत्तियों द्वारा समस्त समाज को ही नष्ट कर देगा ।