पद्म पुराण भाषा | Padam Puran Bhasha के बारे में अधिक जानकारी :
इस पुस्तक का नाम : पद्म पुराण भाषा है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Unknown | Unknown की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : Unknown | इस पुस्तक का कुल साइज 90.29 MB है | पुस्तक में कुल 1034 पृष्ठ हैं |नीचे पद्म पुराण भाषा का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | पद्म पुराण भाषा पुस्तक की श्रेणियां हैं : dharm
Name of the Book is : Padam Puran Bhasha | This Book is written by Unknown | To Read and Download More Books written by Unknown in Hindi, Please Click : Unknown | The size of this book is 90.29 MB | This Book has 1034 Pages | The Download link of the book "Padam Puran Bhasha " is given above, you can downlaod Padam Puran Bhasha from the above link for free | Padam Puran Bhasha is posted under following categories dharm |
पुस्तक का एक अंश नीचे दिया गया है : यह अंश मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियाँ संभव हैं, इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये |
उन्होंने केशवभगवान् के सन्तुष्ट किया २१ कोई कहते हैं कि देवासुर संज्ञान में प्रह्लाद व श्रीहरिका युद्धहुआ उसमें श्रीवासुदेवजी ने उनको सारडाला इससे वे श्रीविष्णुजी के शरीर में प्रविष्ट होगये ३ यह सुनकर सूत जी बोले कि यही प्रश्न पूर्वकाल में धीमान् श्रीव्यासजीने ब्रह्माजीसे किया था तब ब्रह्माजी ने अपने आप व्यासजी के आगे इसका उत्तर दियाथा ४ सो हे ब्राह्मण लोगो वही हम आप लोगोंके आगे कहेंगे जिसप्रकार व्यासजी को संदेह हुआ । ब्रह्माजी ने उसका निवारण किया ५ श्रीवेदव्यासजी सूतजी से बोले कि हे महाभाग सूत प्रह्लादजी का जो वृत्तान्त पुराण में लुमने अन्य प्रकार से सुना ह इस ब्रह्माजी का कहा हुआ |