प्रकाशन-विज्ञान | Prakashan Vigyan

प्रकाशन-विज्ञान | Prakashan Vigyan

प्रकाशन-विज्ञान | Prakashan Vigyan के बारे में अधिक जानकारी :

इस पुस्तक का नाम : प्रकाशन-विज्ञान है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Shri Jyotiswarup Saklani | Shri Jyotiswarup Saklani की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : | इस पुस्तक का कुल साइज 29.4 MB है | पुस्तक में कुल 417 पृष्ठ हैं |नीचे प्रकाशन-विज्ञान का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | प्रकाशन-विज्ञान पुस्तक की श्रेणियां हैं : manovigyan

Name of the Book is : Prakashan Vigyan | This Book is written by Shri Jyotiswarup Saklani | To Read and Download More Books written by Shri Jyotiswarup Saklani in Hindi, Please Click : | The size of this book is 29.4 MB | This Book has 417 Pages | The Download link of the book "Prakashan Vigyan" is given above, you can downlaod Prakashan Vigyan from the above link for free | Prakashan Vigyan is posted under following categories manovigyan |

पुस्तक के लेखक :
पुस्तक की श्रेणी :
पुस्तक का साइज : 29.4 MB
कुल पृष्ठ : 417

यदि इस पेज में कोई त्रुटी हो तो कृपया नीचे कमेन्ट में सूचित करें |
पुस्तक का एक अंश नीचे दिया गया है : यह अंश मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियाँ संभव हैं, इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये |

कोई अन्य विज्ञान नहीं है केवल विषय-ज्ञान का होना ही उसके लिये पर्याप्त नहीं है । यदि उसको बच्चों में व्यक्तित्व और मौलिकता आदि उत्कृष्ट गुणों को उत्पन्न करना है, तो उसे बच्चों का ज्ञान प्राप्त करना भी अनिवार्य है । जान आदम्स का यह कहना अक्षरशः सत्य है कि जो शिक्षक जान को लैटिन पढ़ाता हो उसे जान का जानना भी उतना ही आवश्यक है जितना कि लैटिन का वह विज्ञान जिसके द्वारा जान का अध्ययन किया जाता है, मनोविज्ञान कहलाता है।

Share this page:

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *