सरल नागरिक शास्त्र | Saral Nagarik Shastra के बारे में अधिक जानकारी :
इस पुस्तक का नाम : सरल नागरिक शास्त्र है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Bhagwan Das Kela | Bhagwan Das Kela की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : Bhagwan Das Kela | इस पुस्तक का कुल साइज 12 MB है | पुस्तक में कुल 410 पृष्ठ हैं |नीचे सरल नागरिक शास्त्र का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | सरल नागरिक शास्त्र पुस्तक की श्रेणियां हैं : Social
Name of the Book is : Saral Nagarik Shastra | This Book is written by Bhagwan Das Kela | To Read and Download More Books written by Bhagwan Das Kela in Hindi, Please Click : Bhagwan Das Kela | The size of this book is 12 MB | This Book has 410 Pages | The Download link of the book "Saral Nagarik Shastra" is given above, you can downlaod Saral Nagarik Shastra from the above link for free | Saral Nagarik Shastra is posted under following categories Social |
पुस्तक का एक अंश नीचे दिया गया है : यह अंश मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियाँ संभव हैं, इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये |
मनुष्य अपनी विविध आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए समाज में रहता है। समाज के बहुत-से अग है, प्रत्येक अंग को समृह कह सकते हैं। ज्योंज्यों सामाजिक जीवन का विकास होता है, मनुष्य सामाजिक जीवन में प्रगति करता है, त्यों-त्यों उसकी आवश्यकताएँ बढ़ती जाती हैं, यह पहले बताया जा चुका है। जैसे-जैसे आवश्यकताएं बढ़ती हैं, उन ग्रावश्यकताओं की पूर्ति के लिए भिन्न-भिन्न समूहों की संख्या भी बढ़ती जाती है । प्रारम्भ में आवश्यकताएँ बहुत परिमित होती थीं, तो ये समूह भी इने गिने ही होते थे। अब मनुष्य की भौतिक तथा भौतिक, शारीरिक और मानसिक श्रादि बावश्यकताएँ असंख्य है, तो इन छहों की संख्या भी अनन्त हैं।