दशवैकालिक | Dashvaikalik

दशवैकालिक | Dashvaikalik

दशवैकालिक | Dashvaikalik के बारे में अधिक जानकारी :

इस पुस्तक का नाम : दशवैकालिक है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Muni Nathmal | Muni Nathmal की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : | इस पुस्तक का कुल साइज 6 MB है | पुस्तक में कुल 296 पृष्ठ हैं |नीचे दशवैकालिक का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | दशवैकालिक पुस्तक की श्रेणियां हैं : Spirituality -Adhyatm

Name of the Book is : Dashvaikalik | This Book is written by Muni Nathmal | To Read and Download More Books written by Muni Nathmal in Hindi, Please Click : | The size of this book is 6 MB | This Book has 296 Pages | The Download link of the book "Dashvaikalik " is given above, you can downlaod Dashvaikalik from the above link for free | Dashvaikalik is posted under following categories Spirituality -Adhyatm |

पुस्तक के लेखक :
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पुस्तक का साइज : 6 MB
कुल पृष्ठ : 296

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मैंने सुना है उन भगवान् ने इस प्रकार कहा-निग्रेन प्रवचन में निश्चय ही पड्जीवनिका नामक अपयन काश्यप-गोत्री श्रम | भगवान महावीर द्वारा प्रवेदित, सु-आख्यात और सु-प्राप्त है। इस धर्म-प्रज्ञ अध्ययन का पठन मेरे लिये श्रेय है। २ वह पड्जीवनिका नामक अध्ययन कौन-सा है जो काश्यप-गोभ्रमण भगवान् महावीर द्वारा प्रवेदित, सु-आयात और सु-प्रज्ञप्त है, जिन धर्म, प्रज्ञप्ति अध्ययन का पठन मेरे लिए श्रेय है ? ३ वह पड्जीवनिका नामक अध्ययन जो काश्यप-गोत्री श्रमण भगवान महावीर द्वारा प्रथेदित, सु-आख्यात आर सु-प्रज्ञप्त है, जिम धर्म-प्रज्ञप्ति अध्ययन का पठन मेरे लिए श्रेय है--यह है जैसे—पृथ्वी कायिक, अपकायिक, तेजम कायिक, वायुकायिक, वनस्पतिकायिक और प्रसकायिक । ४ शस्त्र-परिणति से पूर्व पृथ्वी चित्तबती (सजीव) कही गयी है । वह अनेक जीव और पृथक् सत्त्वो (प्रत्येक जीव के स्वतन्त्र अनिव) वाली हैं । ५. शास्त्र-परिणति से पूर्व अप् चित्तवान् (सीब) कहा गया है। वह अनेक जीव और पृषक सत्त्व (प्रत्येक जीव के स्वतन्त्र उशस्तित्व) बाला है। ६. शस्त्र-परिणति में पूर्व तेजस् चित्तवान् (सजीव) कहा गया है। वह अनेक जीव और पृथकू सत्त्व (प्रत्येक जीव के स्वतन्त्र अस्तित्व) वाला है । ७ बास्त्र-परिणति में पूर्व वायु चित्तवान् (मजीव) मा गगा है। यह अनेक जीव और पृथक् सत्त्व (प्रत्येक जीव के स्वतन्त्र अस्तित्व) वाला है।

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