ययाति | Yayati के बारे में अधिक जानकारी :
इस पुस्तक का नाम : ययाति है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Vishnu Sakharam Khandekar | Vishnu Sakharam Khandekar की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : Vishnu Sakharam Khandekar | इस पुस्तक का कुल साइज 6.9 MB है | पुस्तक में कुल 357 पृष्ठ हैं |नीचे ययाति का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | ययाति पुस्तक की श्रेणियां हैं : literature
Name of the Book is : Yayati | This Book is written by Vishnu Sakharam Khandekar | To Read and Download More Books written by Vishnu Sakharam Khandekar in Hindi, Please Click : Vishnu Sakharam Khandekar | The size of this book is 6.9 MB | This Book has 357 Pages | The Download link of the book "Yayati " is given above, you can downlaod Yayati from the above link for free | Yayati is posted under following categories literature |
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उन सात आठ वर्षों में न जाने कितने ही गुरजनों ने मित्रों ने और ग्रथो ने मेरे तन मन को आवार निया।मैंने चौदहव वर्ष में पापण किया तव की बात है। दपण के सामने खड़ा होकर मैं अपने मुत्र मुढ़ और गठील शरीर को अतप्त आखों से देख रहा था। मन थरता था उस प्रतिबिंब की पुष्ट बाह् पवडकर ज़ोर जोर से हिला दू । उसका सिरहाना बनाकर आराम से सो जाऊ। मुझे वह चित्र या आ गया जिमम बन्ना सुर का वध कर अपने प्रासाद लौटा इद्र इंद्राणी की वाह पर मस्तक रख कर सो गया है।