प्राचीन भारत में रसायन का विकास हिंदी पुस्तक मुफ्त डाउनलोड | Prachin Bharat Mein Rasayan Ka Vikas Hindi Book Free Download के बारे में अधिक जानकारी :
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ग्रोशश खाने सम्बन्धधाष्य मस्त्रोक्तस्यार्थस्य विस्तरानु- | अधर्वणमन्त्रोक्त मुण्डकों- चादर पनिपद्के अर्थका विस्तारपूर्वकर चादीदें ्ाह्मणमारभ्यते। | अनुवाद करनेवाली यह ब्राह्मणभागीय उपनिषद् अब आरम्भ की जाती है । इसमें जों ऋषियोंके प्रश्न और उत्तररूप विद्यास्तुतये 1 एवं संवत्सर- आख्यायिका है वह विद्याकी स्तुतिके | लिये है। यह विद्या आगे कहें ब्रह्मचर्यसंबासादियुक्तैस्तपोयुक्तै - प्रकारसे एक वर्षतक ब्रह्मचर्यपूर्वक गुरुकुलमें रहना तथा तप आदि ग्राह्मा पिप्पलादादिवत्सर्वज्ञ- । साधनोंसे युक्त पुरुषोंद्वारा ही ग्रहण ल्परायायवतस्या की जानेयोग्य है तथा पिप्पलादके लस्पायावनतया पद न सा सर्वज्ञतुल्य आचार्योसि ही ऋषिप्र श्रप्रतिवचनाख्यायिका तु येन केनचिदिति विद्या की जा सकती है जिस- किसीसें नहीं-इस प्रकार विद्याकी स्तौति । ब्रह्मचर्यादिसाधनसूचनाच्च स्तुति की जाती है । तथा ब्रह्मचर्यादि साधनोंकी सूचना देनेंसे उनकी तत्कर्तव्यता स्यात्। कर्तव्यता भी प्राप्त होती है। सुकेशा आदिकी गुरूपसत्ति 3 सुकेशा च भारद्वाज शैब्यश्र सत्यकाम सौर्यायणी च गार्ग्य कौसल्यश्ाश्वलायनो भार्गवों वैदर्भि कबन्धी कात्यायनस्ते हैते ब्रह्मापरा ब्रह्मनिष्ठा परे ब्रहमान्वेषमाणा दस उपनिषदौमें प्रश्न मुण्डक और माण्ड्क्य-ये तीन अधर्ववेदीय हैं। इनमें मुण्डक मन्त्रभागकी है तथा शेष दो ब्राह्मणभागकों हैं ।
ashesh dhanyawad
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