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कल्कि पुराण हिंदी पुस्तक | Kalki Puraan Hindi Book

कल्कि पुराण हिंदी पुस्तक | Kalki Puraan Hindi Book

कल्कि पुराण हिंदी पुस्तक | Kalki Puraan Hindi Book के बारे में अधिक जानकारी :

इस पुस्तक का नाम : है | इस पुस्तक के लेखक हैं : | की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : | इस पुस्तक का कुल साइज 13.38 MB है | पुस्तक में कुल 259 पृष्ठ हैं |नीचे का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | पुस्तक की श्रेणियां हैं : dharm, hindu

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पुस्तक की श्रेणी : ,
पुस्तक का साइज : 13.38 MB
कुल पृष्ठ : 259

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रश६ भ्राह भागवतान्धर्मानशंदशसहस्रकान ॥ १० तदा नृपे लय प्राप्त सप्ताहे प्रशनलेषितम_ । माकंण्डेयादिसि पृष्ठ प्राहू पुण्याश्रमे शुक 1 ११ थे तत्राह तदनुज्ञात श्र तवानस्मि या कथा 1 भविष्या कथयामीहू पुण्या भागवती शुभ ॥ १२ सूतजी बोले--हे मसुनीश्वरो प्राचीन समय की बात है--ईसे परम भ्रदभुत उपाख्यान कोपूछते पर ब्रह्माजी ने नारदजी से जो कहा था वही मे झापके प्रति कहता हूँ ॥॥८॥ फिर नारद जी ने इसका वर्णुंने व्ययसजी से किया जिसे व्यासंजी ने अपने मेधावी पुत्र ब्रह्वरात को सुनाया 1॥£॥ ब्रह्दारात ने उसे श्रभिमन्यु-पुत्र विष्युरात के प्रति अटूठारहें सहख्र श्लोको मे सभा मडप के मध्य से सुनाया 11१०1 उस समय प्रशने होते-होते राजा विष्णुरात ने एक सप्ताह मे शेष प्रश्नों को पूर्णी कर लिया भ्ौर लंय को प्राप्त हो गये । उसी कथा के शेष अर श श्रर्थाति सक्षिप्त रूप को शुकदेवजी ने माकंण्डेय प्रभूति सुनियो के प्रश्न करने परे कहा ॥११॥ भगवान्‌ श्री शुकदेवजी द्वारा वर्णित उसी सक्षिप्त पुण्येमय भागवत उपाख्यान को जो भविष्य में घटित होने वाला है झापसे कहता हूँ ।1 १२१ ता म्णुध्वमहाभागा समाहिते घियोध्निदाम_ । गते कृष्ण स्वनिलय प्रादुभु तो यथा कैलि ॥। १३। प्रलयान्ते जगत्स्ष्टा ब्रह्म लोकपिंतामहू 1 ससजे घोर मलिन पुष्टदेशात स्वपातकसु ॥1१४। स चाधमं इति ख्यातस्तस्य घंशानुकीत्त नात । श्रवणात्स्मरंराल्लोक सर्चपाप प्रमुष्यते । १४ ॥ अधर्मस्य प्रियारम्या मिथ्या मार्जारलोचना । सस्य पुत्रोडतितेजस्वी दम्भ परंमकोपनः ॥ १६ ॥

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One comment

  1. Aaaj Meri Talash Khatam Hui Hai Purani Pustako ko padh-ney Ki…
    Yadi Jiladhikaari level ki Jaisey …
    Bharat Ka Bhugoal ..
    Bhi padh ney ko mil jaye to Kahney Hi kyaa .
    Kosish Karey ki Adhik se Adhik Gyaan Vardhak , Upnyaas Uplbadh karwa ye..!!!

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