भजन संग्रह तीसरा भाग : घनश्यामदास जालान | Bhajan Sangarah tisra bhag : Ghanshyamdas Jalan

भजन संग्रह तीसरा भाग : घनश्यामदास जालान | Bhajan Sangarah tisra bhag : Ghanshyamdas Jalan

भजन संग्रह तीसरा भाग : घनश्यामदास जालान | Bhajan Sangarah tisra bhag : Ghanshyamdas Jalan के बारे में अधिक जानकारी :

इस पुस्तक का नाम : भजन संग्रह तीसरा भाग है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Ghanshyamdas Jalan | Ghanshyamdas Jalan की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : | इस पुस्तक का कुल साइज 2.6MB है | पुस्तक में कुल 258 पृष्ठ हैं |नीचे भजन संग्रह तीसरा भाग का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | भजन संग्रह तीसरा भाग पुस्तक की श्रेणियां हैं : music

Name of the Book is : Bhajan Sangarah tisra bhag | This Book is written by Ghanshyamdas Jalan | To Read and Download More Books written by Ghanshyamdas Jalan in Hindi, Please Click : | The size of this book is 2.6MB | This Book has 258 Pages | The Download link of the book "Bhajan Sangarah tisra bhag" is given above, you can downlaod Bhajan Sangarah tisra bhag from the above link for free | Bhajan Sangarah tisra bhag is posted under following categories music |

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पुस्तक का साइज : 2.6MB
कुल पृष्ठ : 258

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पानाँ ज्यूँ पीळी पड़ी रे,
लोग कहें पिंड रोग ।। छाने लवण म्हैं किया रे,
राम मिलणके जोग ॥१॥ बाबळ बैद बुलाइया रे,
पकड़ दिखाई म्हाँरी बाँह । मूरख बैद मरम नहिं जाणे,
कसक कळेजे माँह ॥२॥ जा बैदाँ घर आपणे रे,
म्हाँरो नाँव न लेय । मैं तो दाझी बिरहकी ३, ।
त काहे कें दारू देय ॥३॥ माँस गळ गळ छोजिया रे,
करक रह्या गळ आहि । आँगलियाँ री मूदड़ी,
(म्हारे ) आवण लागी बाँहि ॥४॥

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