अभिशाप | Abhishaap

अभिशाप : पुधुवई रजनी | Abhishaap : Pudhuvai Rajni

अभिशाप : पुधुवई रजनी | Abhishaap : Pudhuvai Rajni के बारे में अधिक जानकारी :

इस पुस्तक का नाम : अभिशाप है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Rajni Pudhuvai | Rajni Pudhuvai की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : | इस पुस्तक का कुल साइज 1.1 MB है | पुस्तक में कुल 21 पृष्ठ हैं |नीचे अभिशाप का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | अभिशाप पुस्तक की श्रेणियां हैं : Stories, Novels & Plays

Name of the Book is : Abhishaap | This Book is written by Rajni Pudhuvai | To Read and Download More Books written by Rajni Pudhuvai in Hindi, Please Click : | The size of this book is 1.1 MB | This Book has 21 Pages | The Download link of the book "Abhishaap" is given above, you can downlaod Abhishaap from the above link for free | Abhishaap is posted under following categories Stories, Novels & Plays |


पुस्तक के लेखक :
पुस्तक की श्रेणी :
पुस्तक का साइज : 1.1 MB
कुल पृष्ठ : 21

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उन दिनों हमारे यहाँ न तो पक्की सड़कें थी न ही पक्की नालियाँ । लाल मिट्टी के कच्चे रास्तों के दोनों ओर टेढ़ी-मेढ़ी कच्ची नालियाँ थीं । नालियों के पास ही थोपू थाथा का बड़ा-सा बाग था । जीवन से सराबोर ।
केले के पेड़ स्वादिष्ट फलों से भरे थे । सुपारी की बेलें, उनसे लिपटी रहती थीं । लंबे अरंडी के वृक्ष, हवा में लहराते थे । हरी-भरी शाखाओं पर, सूखे-सूखे फल इतराते थे । थोपू थाथा ने कटनमनी की झाड़ियाँ और कांटेदार पौधे भी उगा रखे थे । | हमारा शिकार सुबह शुरू हो जाता था । थाँबू, लंगड़ा सेलवम, ज़ाकिर और मैं । थाँबू और मैं नारियल की रस्सी लिये रहते थे । ज़ाकिर और सेलवम, गुलेल । गिरगिट के शिकार में सेलवम का कोई मुकाबला नहीं कर सकता था। वह लड़खड़ाता उनके पीछे भागता था।

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