आखिर मारना है : आजम बेग कादरी हिंदी पुस्तक मुफ्त पीडीऍफ़ डाउनलोड | Akhir marna Hai : Azam Beg Qadri Hindi Book Free PDF Download

आखिर मरना है : आजम बेग कादरी | Akhir marna Hai : Azam Beg Qadri

आखिर मरना है : आजम बेग कादरी |  Akhir marna Hai : Azam Beg Qadri

आखिर मरना है : आजम बेग कादरी | Akhir marna Hai : Azam Beg Qadri के बारे में अधिक जानकारी :

इस पुस्तक का नाम : आखिर मरना है है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Azam Beg Qadri | Azam Beg Qadri की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : | इस पुस्तक का कुल साइज 62.4 MB है | पुस्तक में कुल 384 पृष्ठ हैं |नीचे आखिर मरना है का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | आखिर मरना है पुस्तक की श्रेणियां हैं : dharm, islam

Name of the Book is : Akhir marna Hai | This Book is written by Azam Beg Qadri | To Read and Download More Books written by Azam Beg Qadri in Hindi, Please Click : | The size of this book is 62.4 MB | This Book has 384 Pages | The Download link of the book " Akhir marna Hai" is given above, you can downlaod Akhir marna Hai from the above link for free | Akhir marna Hai is posted under following categories dharm, islam |

पुस्तक के लेखक :
पुस्तक की श्रेणी : ,
पुस्तक का साइज : 62.4 MB
कुल पृष्ठ : 384

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हदीस पाक में है नफ्स के साथ जिहाद बेहतरीन जिहाद है क्योंकि अपने नफ्स पर काबू करना इन्सान के लिये बड़ा मुश्किल काम है। लेकिन जो लोग अल्लाह व रसूल और आरिपरत पर ईमान रखते हैं। जिनके दिल अल्लाह तआला के खौफ से लरजते हैं वो लोग जरूर अपने नफ्स पर कानू पाते हैं और वही लोग अकलमन्द और निजात पाने वाले हैं जो अपने नप्त्स का मुहासिवा करते और उसको काबू करने की तदबीरें करते और उनकी कोशिश अल्लाह ताला के फलो करम से कामयाब होती है और वो अपने नफ्स और उसकी ख्याहिशात पर गालिब आ जाते हैं और वो गुनाहों से दूर रहते और नेक अमल करते हैं। सरकारे दो आलम सल्लल्लाहु अलैह वसल्लम ने फरमायाअकलमन्द लोग वो हैं जो अपने नफ्स का मुहासिवा करते हैं और मौत के बाद के लिये अमल करते हैं। (
मुद आम्द-4/124) सरवरे कौन सल्लल्लाहु अलैह वसल्लम का इरशाये गिरागी हैसमझदार आदमी वो है जिसका नफ्स उसका तात्रै हो और यो भौत के बाद के लिये अमल करे और बेवकूप आदमी यो है जो नेफ्सानी राष्टिशात के पीछे चले। (सुनन इब्ने माजा-324) हजरत गौसुल आजम अब्दुल कादिर जीलानी (रजि0) फरमाते हैं। कि अपने नपस की इत्तेबा (पैरदी) न करो और इससे इजतिनाब (परहेज़) करो और अपनी मिल्कियत से माजूल होकर सब कुछ अपने रब के सपुर्द करके अपने कल्य के दरवाजे पर इस तरह पहरा दो कि उसमें रस तआला के अहकामात के अलावा कोई दूसरी चीज दाखिल न हो सके इसके अलावा अपने क्लब में हर उस चीज का दाखिला बन्द कर दो जिससे उन्हें रोका गया है और जिन साहिशात को तुमने अपने कब से निकाल फेंका है उनको दोबारा अपने कल्ब में दाखिल न होने दो और न उसकी पैरवी करो क्योंकि इन्सान की माहिशात उसे राहे खदा से गुगराह कर देती है।

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