अनेकान्तवाद एक समीक्षात्मक अध्ययन | Anekantavad Ek Samikshatmak Adhyayan

अनेकान्तवाद एक समीक्षात्मक अध्ययन | Anekantavad Ek Samikshatmak Adhyayan

अनेकान्तवाद एक समीक्षात्मक अध्ययन | Anekantavad Ek Samikshatmak Adhyayan के बारे में अधिक जानकारी :

इस पुस्तक का नाम : अनेकान्तवाद एक समीक्षात्मक अध्ययन है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Dr. Rajendra Lal Dosi | Dr. Rajendra Lal Dosi की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : | इस पुस्तक का कुल साइज 97.8 MB है | पुस्तक में कुल 400 पृष्ठ हैं |नीचे अनेकान्तवाद एक समीक्षात्मक अध्ययन का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | अनेकान्तवाद एक समीक्षात्मक अध्ययन पुस्तक की श्रेणियां हैं : dharm

Name of the Book is : Anekantavad Ek Samikshatmak Adhyayan | This Book is written by Dr. Rajendra Lal Dosi | To Read and Download More Books written by Dr. Rajendra Lal Dosi in Hindi, Please Click : | The size of this book is 97.8 MB | This Book has 400 Pages | The Download link of the book "Anekantavad Ek Samikshatmak Adhyayan" is given above, you can downlaod Anekantavad Ek Samikshatmak Adhyayan from the above link for free | Anekantavad Ek Samikshatmak Adhyayan is posted under following categories dharm |


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पुस्तक का साइज : 97.8 MB
कुल पृष्ठ : 400

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शीतल है, प्रवाहयुक्त है, रूप, रस, गंध, वर्णयुक्त है, भारी है, हल्का है. पुदगल है इत्यादि प्रत्येक पदार्थ इसी प्रकार विविध स्वधर्म गुणों का निकाय है। यदि उसे किसी एकधर्म से अविच्छिन्न और कूटस्थ माने तो इतर विद्यमान धर्मों को अस्वीकार करना होगा। स्वीकारने अथवा अस्वीकारने मात्र से पदार्थों का निर्णय सिद्ध नहीं होता। जब वस्तु स्वयं अपने अनेक धर्मों की विद्यमानता का डिडिम-घोष कर रही है, उसे नकारने का आयुक्त साहस कौन करेगा।

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