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आसन और प्राणायाम : पं० श्रीराम शर्मा आचार्य | Asan Aur Pranayam : Pt. Shreeram Sharma Acharya

आसन और प्राणायाम : पं० श्रीराम शर्मा आचार्य | Asan Aur Pranayam : Pt. Shreeram Sharma Acharya

आसन और प्राणायाम : पं० श्रीराम शर्मा आचार्य | Asan Aur Pranayam : Pt. Shreeram Sharma Acharya के बारे में अधिक जानकारी :

इस पुस्तक का नाम : आसन और प्राणायाम है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Pt. Shreeram Sharma Acharya | Pt. Shreeram Sharma Acharya की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : | इस पुस्तक का कुल साइज 1.5 MB है | पुस्तक में कुल 40 पृष्ठ हैं |नीचे आसन और प्राणायाम का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | आसन और प्राणायाम पुस्तक की श्रेणियां हैं : health

Name of the Book is : Asan Aur Pranayam | This Book is written by Pt. Shreeram Sharma Acharya | To Read and Download More Books written by Pt. Shreeram Sharma Acharya in Hindi, Please Click : | The size of this book is 1.5 MB | This Book has 40 Pages | The Download link of the book "Asan Aur Pranayam" is given above, you can downlaod Asan Aur Pranayam from the above link for free | Asan Aur Pranayam is posted under following categories health |

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पुस्तक का साइज : 1.5 MB
कुल पृष्ठ : 40

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ऊपर बताया जा चुका है कि मेरुदंड के दाएँ पाएँ नाड़ी गच्छकों को दो प्रधान श्रृंखला चलती हैं, इन्हीं को योग की भाषा में इड़ा और पिंगला कहा गया हैं। धिर संचार, श्वास क्रिया, पाचन
आदि प्रमुख कार्यों को सुसंचालित रखने की जिम्मेदारी उपयुक्त नाड़ी-गुच्छकों के ऊपर प्रधान रूप से है। प्राणायाम साधना में इन इडा पिंगला नाड़ियों को नियत विधि के अनुसार बलवान बनाया जाता है। जिससे उनसे संबंधित शरीर को सहानुभावी क्रिया के विकार दूर होकर आनंददायी स्वस्थता प्राप्त हो सके। | अत्यंत प्राचीनकाल से अध्यात्मज्ञा पुस्य प्राणायाम के महत्व और उसके लाभों को अनुभव करते रहे हैं । तदनुसार सस्त भूमंडल के योगी लोग अपनी-अपनी विधि से इन क्रियाओं को करते रहे। हैं। महाप्रभु ईसा मसीह अपने शिष्यों सहित एक पर्वत पर चढ़कर ईश्वर की प्रार्थना किया करते थे। कहा जाता हैं कि इस कैंची चढाई में आध्यात्मिक श्वास क्रियाओं का रहस्य छिपा हुआ था। बीद्ध धर्म में 'जजन' नामक प्राणायाम बहुत काल से चला आता है। प्रसिद्ध वापानी पुरोहित कुइन जैशी ने प्राणायाम का खुव विस्तार किया था। यूनान में प्लेन से भी बहुत पहले इस विज्ञान की जानकारी का

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