बच्चों के लिए खेल क्रियाएँ : मीना स्वामीनाथन | Bachchon Ke Liye Khel Kriyayein : Meena Swaminathan के बारे में अधिक जानकारी :
इस पुस्तक का नाम : बच्चों के लिए खेल क्रियाएँ है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Arvind Gupta | Arvind Gupta की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : Arvind Gupta | इस पुस्तक का कुल साइज 3.4 MB है | पुस्तक में कुल 135 पृष्ठ हैं |नीचे बच्चों के लिए खेल क्रियाएँ का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | बच्चों के लिए खेल क्रियाएँ पुस्तक की श्रेणियां हैं : children, education
Name of the Book is : Bachchon Ke Liye Khel Kriyayein | This Book is written by Arvind Gupta | To Read and Download More Books written by Arvind Gupta in Hindi, Please Click : Arvind Gupta | The size of this book is 3.4 MB | This Book has 135 Pages | The Download link of the book "Bachchon Ke Liye Khel Kriyayein" is given above, you can downlaod Bachchon Ke Liye Khel Kriyayein from the above link for free | Bachchon Ke Liye Khel Kriyayein is posted under following categories children, education |
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शारीरिक विकास के लिए खेल व क्रीड़ा
छोटे बालकों के लिए क्रियाकलाप–क्यों, कैसे और क्या ?
बालकों की आवश्यकताएं मस्तिष्क और शरीर के स्वस्थ विकास के लिए बालकों की अनेक आवश्यकताएं हैं, जैसे अच्छा भोजन, पूरा विश्राम और नींद तथा स्वास्थ्य की ओर समुचित धन। बच्चों को साफ-सुथरा, परिवेश, ताजी हवा और व्यायाम भी चाहिए जिससे कि उनकी छोटी और बड़ी सभी मांसपेशियां अच्छी तरह से विकसित हो सकें। बच्चों के लिए सक्रिय रहना भी जरूरी है। बालक किसी भी स्थान पर बहुत देर तक चुपचाप बैठे नहीं रह सकते। उनसे इसकी आशा करना भी गलत है। बच्चों को कूदने-फांदने, भागने, उछलने, सरकने या घिसटने और संतुलन बनाए रखने का अभ्यास चाहिए। इससे उनका शरीर पुष्ट होता है, उनमें कार्य-कुशलता आती है। उनके लिए आनंद का अनुभव भी जरूरी है। झूलने, उछलने, भागने-दौड़ने से वे शरीर द्वारा अपने आनंदभाव को व्यक्त करते हैं। बालकों को सीखने की भी आवश्यकता होती है। खेल-खेल में, ये हंसी खुशी के साथ-साथ अनेक प्रकार की कई आदतें व क्रियाएं भी सीख जाते हैं, जैसे दूसरों की बात को सुनना, ध्यान लगाकर स्थिति को देखना, निर्देशों के अनुसार काम करना, आज्ञा का पालन करना, अपनी बारी का इंतजार करना तथा दूसरों को सहयोग देना इत्यादि । क्या आप उनकी इन सब आवश्यकताओं को पूरा कर सकते हैं? “अवश्य' ।।