भारत का प्राकृतिक भूविज्ञान : शंकर मोहन माथुर | Bharat ka prakratik Bhuvigyan : Shankar Mohan Mathur के बारे में अधिक जानकारी :
इस पुस्तक का नाम : भारत का प्राकृतिक भूविज्ञान है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Shankar Mathur | Shankar Mathur की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : Shankar Mathur | इस पुस्तक का कुल साइज 8.1 MB है | पुस्तक में कुल 195 पृष्ठ हैं |नीचे भारत का प्राकृतिक भूविज्ञान का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | भारत का प्राकृतिक भूविज्ञान पुस्तक की श्रेणियां हैं : india, Knowledge
Name of the Book is : Bharat ka prakratik Bhuvigyan | This Book is written by Shankar Mathur | To Read and Download More Books written by Shankar Mathur in Hindi, Please Click : Shankar Mathur | The size of this book is 8.1 MB | This Book has 195 Pages | The Download link of the book "Bharat ka prakratik Bhuvigyan" is given above, you can downlaod Bharat ka prakratik Bhuvigyan from the above link for free | Bharat ka prakratik Bhuvigyan is posted under following categories india, Knowledge |
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प्राक्कथन
एक सौ पचास वर्ष पूर्व चाल्र्स नायल की भूविज्ञान के सिद्धांत प्रकाशित हुई जिसमें पृथ्वी की सतह पर हुए पिछले परिवर्तनों की वर्तमान में क्रियाशीत कारकों के संदर्भ में ग्गामा करने का प्रयास किया था। उस समय के वैज्ञानिकों पर उस पुस्तक का बहुत प्रभाव पड़ा और यह प्रभाव एकरूपता की अवधारणा का प्रमुख स्रोत ।। | इस पुस्तक के लेझ, एक अनुभवी वैज्ञानिक है, जो कि भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण से सेवानिवृत्ति के पश्चात् वैशनिक एवं औद्योगिक अमान परिषद के माद वैज्ञानिक नियुक्त हुए। उन्होने भरत ई भूविज्ञान तथा उसक वर्तमान आकृतिक के निकट संबंध पर वोर दिया है और इसे विस्तृत रूप में विवेकपूर्ण ढंग से प्रतिपादित
कुछेक देशों में के रूप में एक-दूसरे से अलग तीन इकाइयों में ऐसा कर र दिखाई देता है जैसा भारत में यक्षा प्रायद्वीपीय भूठ क्षेत्र, हिमालय की वलयत उच्चासत पर्बतमाल, ने इनके मम स्मित किए गंगा अनन्। इन्हें नौन भागों को महत करते हुए इस पुस्तक की रचना की गई है।
पुस्तक में उपमहाद्वीप के भौतिक विज्ञान के समस्त पहलुओं, जिन्हें अप समस्थित एवं गुरुत्व, पुणचुंबकत्व, महाद्वीपीय संचलन, सागरतल विस्तार तथा प्लेट विवर्तनिक आदि का वर्णन किया गया है। यह पुस्तक समस्त भूगोलविदों, भूवैज्ञानिकों के पुस्तकालयों में संग्रहमीद है और इसके सच मेखक इस विषय पर अद्यतन जानकारी प्रस्तुत करने के लिए प्रशंका के पत्र है।
3 सितंबर, 184
| - विकिपण द्विम्मान वेस्ट (अवकाशप्राप्त प्रोफेसर, सागर विश्वविद्यालय)
I like this book thanks
books are limited in hindi.. thanks a lot for the stuff…