भारत के कर्णधार : क्षेमचन्द्र सुमन | Bharat Ke Karnadhaar : Kshemchandra Suman के बारे में अधिक जानकारी :
इस पुस्तक का नाम : भारत के कर्णधार है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Kshemchandra Suman | Kshemchandra Suman की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : Kshemchandra Suman | इस पुस्तक का कुल साइज 6 MB है | पुस्तक में कुल 38 पृष्ठ हैं |नीचे भारत के कर्णधार का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | भारत के कर्णधार पुस्तक की श्रेणियां हैं : india, history
Name of the Book is : Bharat Ke Karnadhaar | This Book is written by Kshemchandra Suman | To Read and Download More Books written by Kshemchandra Suman in Hindi, Please Click : Kshemchandra Suman | The size of this book is 6 MB | This Book has 38 Pages | The Download link of the book "Bharat Ke Karnadhaar" is given above, you can downlaod Bharat Ke Karnadhaar from the above link for free | Bharat Ke Karnadhaar is posted under following categories india, history |
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एक सम्राट को अपने समय के साथ चलकर चुनौतियों का सामना करना पड़ता है और शत्रुओं से राष्ट्र को बचाने में संघर्ष करते हुए देश का शासन चलाना पड़ता है। दूसरे शब्दों में एक सम्राट अपने साम्राज्य का शास्ता या शासक होता है। पर, अगस्त्य, पाणिनि जैसी महाशक्तियाँ-साहित्य, संस्कृति, धर्म-विज्ञान, कला की विभूतियाँ अपने समय की, युग की शास्ता तो होती ही हैं, ये अपने बाद के युगों की, उनके सम्राटों को, साम्राज्यों की भी शास्ता होती हैं। ये सम्राट जिन शब्दों में बोलते हैं, उन शब्दों पर, इन शब्द शासकों का शासन होता है। सम्राट जिस न्याय, विधिव्यवस्था से शासन-प्रशासन करते हैं, उनकी स्थापना, उन मूल्यों का निर्माण, नियंत्रण और व्यवस्था के मानदण्ड अगस्त्य, याज्ञवल्क्य जैसी विभूतियाँ अनुशासित करती हैं। चन्द्रगुप्त पर शासन आचार्य चाणक्य का था, पर आचार्य चाणक्य के 'अर्थशास्त्र' कृति का शासन चाणक्य के बाद की सदियों तक में आज तक प्रभावशाली ढंग से जारी है। वस्तुतः ये ही हैं देश के मांझी, जो राष्ट्र की नाव समस्याओं के महासागर में हिंसक जलचरों से बचाते हुए कर्णधार बनकर खेते हैं। सम्राट, उनके साम्राज्य और समय की नब्ज पर इन शब्दरथियों की पकड़ मजबूत रहती है। राष्ट्रीय निजी जीवन में जब हम अकेले पड़ जाते हैं, कोई संगी-साथी नहीं मिलता-तो यहीं निधियाँ हमारा सहारा बनती हैं। ये हमारा कर्णधार बनती हैं। हमें मजबूत बनाती हैं, हमारा मन तेजस्वी करती हैं, समस्याओं की क्षणभंगुरता समझाती हैं, हमारी उंगली पकड़ कर राह दिखाती हैं, परदेश में भी हमें सर्वप्रिय करती हैं। इनके सहारे कोई बेसहारा नहीं रह सकता।
- जीवन की एक पूँजी के रूप में आज के भूमण्डलीकरण के इस दौर में मैं 'भारत के महान कर्णधार' पूरे भरोसे के साथ प्रस्तुत कर रहा हूँ।
-फणीन्द्र नाथ चतुर्वेदी