वीर बालक | Veer Balak

वीर बालक : गीता प्रेस | Veer Balak : Geeta Press

वीर बालक : गीता प्रेस | Veer Balak : Geeta Press के बारे में अधिक जानकारी :

इस पुस्तक का नाम : वीर बालक है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Geeta Press | Geeta Press की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : | इस पुस्तक का कुल साइज 32.7 MB है | पुस्तक में कुल 89 पृष्ठ हैं |नीचे वीर बालक का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | वीर बालक पुस्तक की श्रेणियां हैं : gita-press, india, inspirational, Knowledge

Name of the Book is : Veer Balak | This Book is written by Geeta Press | To Read and Download More Books written by Geeta Press in Hindi, Please Click : | The size of this book is 32.7 MB | This Book has 89 Pages | The Download link of the book "Veer Balak" is given above, you can downlaod Veer Balak from the above link for free | Veer Balak is posted under following categories gita-press, india, inspirational, Knowledge |


पुस्तक के लेखक :
पुस्तक की श्रेणी : , , ,
पुस्तक का साइज : 32.7 MB
कुल पृष्ठ : 89

Search On Amazon यदि इस पेज में कोई त्रुटी हो तो कृपया नीचे कमेन्ट में सूचित करें |
पुस्तक का एक अंश नीचे दिया गया है : यह अंश मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियाँ संभव हैं, इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये |

राणा लाखा युद्धके लिये गये और फिर नहीं लौटे। राजगद्दीपर मुकुलको बैठाकर चण्ड उनकी ओरसे राज्यका प्रबन्ध करने लगे । उनके सुप्रबन्धसे प्रजा प्रसन्न एवं सम्पन्न हो गयी । यह सब होनेपर भी राजमाताको यह संदेह हो गया कि चण्ड मेरे पुत्रको हटाकर स्वयं राज्य लेना चाहते हैं । उन्होंने यह बात प्रकट कर दी । जब राजकुमार चण्डने यह बात सुनी, तब उन्हें बड़ा दुःख हुआ । वे राजमाताके पास गये और बोले–“माँ ! आपको संतुष्ट करनेके लिये चित्तौड़ छोड़ रहा हूँ; किंतु जब भी आपको मेरी सेवाकी अवश्यकता हो, मैं समाचार पाते ही आ जाऊँगा ।'

You might also like
Leave A Reply

Your email address will not be published.