भारतीय व्रतोत्सव | Bharatiya Bratotsawa

भारतीय व्रतोत्सव – Bharatiya Bratotsawa

भारतीय व्रतोत्सव – Bharatiya Bratotsawa के बारे में अधिक जानकारी :

इस पुस्तक का नाम : भारतीय व्रतोत्सव है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Acharya Purushottam Sharma chaturvedi | Acharya Purushottam Sharma chaturvedi की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : | इस पुस्तक का कुल साइज 22.8 MB है | पुस्तक में कुल 323 पृष्ठ हैं |नीचे भारतीय व्रतोत्सव का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | भारतीय व्रतोत्सव पुस्तक की श्रेणियां हैं : india

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पुस्तक का साइज : 22.8 MB
कुल पृष्ठ : 323

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ऊपर बताया जा चुका है कि ऋतुओं के परिवर्त (चकर) को संवत्सर या वत्सर कहते हैं। अर्थात् सारी ऋतुएं जब एक बार समाम हो लेती हैं और उनका जव दुबारा चकर आरम्भ होता है तब एक संवत्सर पूरा होकर दूसरा संवत्सर आरम्भ होता है।
अतएव यह कहा दी जाता है कि संवत्संर के अन्दर सब ऋतुएं रहती हैं। इसी प्रकार सब प्राणियों की आयु की गणना भी इन्हीं संबत्सरों के द्वारा होती है, अत: यह भी कहा जाता है कि जिसमें सब प्राणी रहते हैं उस समय- विभाग का नाम संवत्सर है।
उपर्युक्त दोनों व्युत्पत्तियों का सम्मिलित सारांश यह हुआ कि जो काल-विभाग सब ऋतुओं का और सब प्राणियों का आधार है उसका नाम संवत्सर है। तात्पर्य यह है कि यदि मानव को संवत्सर का ज्ञान न होता तो वह न ऋतु-विभाग को समझता और न प्राणियों की आयु की गणना ही हो सकती I लोगों को पता ही नहीं लगता कि कब शीत आरम्भ होगा, कब गरमी और कब वर्षों; और न यही पता लगता कि कोई प्राणी कब तक बालक रहेगा, कब युवा होगा और कब वृद्ध हो

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