दर्द | Dard

दर्द : रईस अहमद जाफरी | Dard : Raees Ahmad Jafri |

दर्द : रईस अहमद जाफरी | Dard : Raees Ahmad Jafri | के बारे में अधिक जानकारी :

इस पुस्तक का नाम : दर्द है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Rahish Ahmad Jafri | Rahish Ahmad Jafri की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : | इस पुस्तक का कुल साइज 4.7 MB है | पुस्तक में कुल 172 पृष्ठ हैं |नीचे दर्द का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | दर्द पुस्तक की श्रेणियां हैं : Stories, Novels & Plays

Name of the Book is : Dard | This Book is written by Rahish Ahmad Jafri | To Read and Download More Books written by Rahish Ahmad Jafri in Hindi, Please Click : | The size of this book is 4.7 MB | This Book has 172 Pages | The Download link of the book "Dard" is given above, you can downlaod Dard from the above link for free | Dard is posted under following categories Stories, Novels & Plays |


पुस्तक के लेखक :
पुस्तक की श्रेणी :
पुस्तक का साइज : 4.7 MB
कुल पृष्ठ : 172

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नूर मियाँ के भाषण के बाद एक अबोध बालक के नेतृत्व में कोरस के तर्ज पर एक दर्द भरी कविता सुनाईं, जो अनाथावस्था की हुयय-थियार प्रवृत्ति तथा धनी व्यक्तियों की सहायता की माँग पर आधारित थी। इस कविता ने जादु का काम किया। स्टेज पर धन बरसने लगा। नोटों और रुपयों का ढेर लग गया। नवाब सा सूर मियाँ के भाषण से काफी प्रभावित हो चुके थे। इस कविता ने सोने पर सुहागे का काम किया। उन्होंने जेब से चेकबुक निकाली और दस हजार रूपये की सहायता अनाथालय को प्रदान की। समारोह समाप्त हो गया । तुर मियाँ ने नाव साहब से प्रार्थना की, कि भह अपनी आँखों द्वारा अनाथालय का सर्वेक्षण करें । नवाब साहब ने यह प्रार्थना स्वीकार कर ली। उन्होंने एफ-एफ कमरे को देखा । अनाथ बच्चों के रहने-सहने, खाने-पीने तथा पढ़ने-लिखने की प्रणालियों का विस्तृत निरीक्षण किया । जाती बार जिस कमरे का उन्होंने निरीक्षण किया, यहाँ घटनावश वह लड़का फिर नजर आया जिग्ने हॉल के अन्दर दर्द भरी कविता पढ़ कर एक दुदय-स्प बातावरण पैदा कर दिया था । नवाब साहब एक चारपाई पर बैठ गये और लड़के से स्नेह मुक्त स्वर में पूछा
"तुम्हारा नाम क्या है ? 'इकबाल !!"
“नाम तो बड़ा अच्छा है। हाँ यह बताओ, तुम पढ़-लिखकर क्या बनना चाहते हो ?'
'डाक्टर !'' नवाब साहब मुस्कराये । उन्होंने उसकी पीठ थपथपाते हुए कहा---
"बाबाश ! जिनकी हिम्मत बुलन्द होती है वह गरीबी की गोद में पल कर भी सब कुछ बन सकते हैं। तुम जरूर बनोगे डाक्टर । हुम तुम्हें ती गैग दिलायेंगे। हम तुम्हें डाक्टरी पढ़ायेंगे। हमारे साथ चलोगे ? हुमारे
रोगे ?' बाल आश्चर्य से उनकी ओर देखने लगा और खामोश रहा।

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