दर्शन और जीवन | Darshan Aur Jivan

दर्शन और जीवन | Darshan Aur Jivan

दर्शन और जीवन | Darshan Aur Jivan

दर्शन और जीवन | Darshan Aur Jivan के बारे में अधिक जानकारी :

इस पुस्तक का नाम : दर्शन और जीवन है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Sampurnanand | Sampurnanand की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : | इस पुस्तक का कुल साइज 06.0 MB है | पुस्तक में कुल 202 पृष्ठ हैं |नीचे दर्शन और जीवन का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | दर्शन और जीवन पुस्तक की श्रेणियां हैं : history, Knowledge

Name of the Book is : Darshan Aur Jivan | This Book is written by Sampurnanand | To Read and Download More Books written by Sampurnanand in Hindi, Please Click : | The size of this book is 06.0 MB | This Book has 202 Pages | The Download link of the book "Darshan Aur Jivan" is given above, you can downlaod Darshan Aur Jivan from the above link for free | Darshan Aur Jivan is posted under following categories history, Knowledge |

पुस्तक के लेखक :
पुस्तक की श्रेणी : ,
पुस्तक का साइज : 06.0 MB
कुल पृष्ठ : 202

यदि इस पेज में कोई त्रुटी हो तो कृपया नीचे कमेन्ट में सूचित करें |
पुस्तक का एक अंश नीचे दिया गया है : यह अंश मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियाँ संभव हैं, इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये |

पुस्तक के आलोच्य विषय के सम्बन्ध में दो शब्द कहना आवश्यक है । दर्शन का विषय सम्पूर्ण जगत्, पूर्ण सत्य है, इसी लिए तो प्राचीन आचार्यों ने इसे शास्त्री की शास्त्र कहा है। इसलिए ज्ञान का कोई भी क्षेत्र इसकी परिधि के बाहर नहीं है । विज्ञान के विभिन्न विभागो के द्वारा जो आंशिक सत्य मिलते हैं उन सबका समन्वये जो दर्शन नही कर सकता उसको दर्शन कहलाने का अधिकार नहीं है। दार्शनिक विचार के लिए विज्ञान की खोज का ज्ञान नितान्त आवश्यक है। इसके अभाव में दार्शनिक चर्चा केवल कोरी बकबक है और जिन प्रश्नो पर विचार होता है वह व्यवहार और उपयोग से दूर कपोलकल्पना-मात्र । होते हैं ।

Share this page:

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *