धर्म कर्म रहस्य : भवानी शंकर | Dharma Karma Rahasya : Bhavani Shankar के बारे में अधिक जानकारी :
इस पुस्तक का नाम : धर्म कर्म रहस्य है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Bhavani Shankar | Bhavani Shankar की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : Bhavani Shankar | इस पुस्तक का कुल साइज 4.1 MB है | पुस्तक में कुल 180 पृष्ठ हैं |नीचे धर्म कर्म रहस्य का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | धर्म कर्म रहस्य पुस्तक की श्रेणियां हैं : dharm, hindu, jyotish
Name of the Book is : Dharma Karma Rahasya | This Book is written by Bhavani Shankar | To Read and Download More Books written by Bhavani Shankar in Hindi, Please Click : Bhavani Shankar | The size of this book is 4.1 MB | This Book has 180 Pages | The Download link of the book "Dharma Karma Rahasya" is given above, you can downlaod Dharma Karma Rahasya from the above link for free | Dharma Karma Rahasya is posted under following categories dharm, hindu, jyotish |
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सृष्टि के पूर्व एक ईश्वर ही थे ( एकमेवाद्वितीयमश्रुति- ईश्वर निश्चय अकेले थे, कोई दूसरा नहीं था ) । ईश्वर में सृष्टि के उद्भव का सङ्कल्प हु ( सेाऽकामयत वहु स्यां अजायेयेति–वैत्तिरीयोपनिषत्---ईश्वर ने अनेक प्रजा के उद्भव
का संकल्प किया )। यही ईश्वर की आदि-सङ्कपरूपी उनकी दिव्य ( परा ) प्रकृति सृष्टि का जीवन-मूल, अधार और सञ्चालक है ( श्रीमद्भगवद्गीता, अध्याय ७ श्लोक ५ )। यह
आदि-सङ्कल्प किसी स्वार्थ-साधन के लिए नहीं हुआ, क्योंकि ईश्वर को न तो कुछ अप्राप्त है और न केाई कर्तव्य' ( गीता अ० ३ श्लोक २२ )। अतएव यह सङ्कल्प स्वार्थ-मूलक न होकर परार्थ-मूलक अर्थात् तप और यज्ञ है । ( उक्त आदिशक्ति ही गायत्री हैं अर्थात् त्राण करनेवाली हैं और वेद अर्थात् परा विद्या का मूल हैं जिससे धर्म की उत्पत्ति हुई। इसका भाव यह है कि ये त्राण करनेवाली शक्ति केवल धर्म द्वारा त्राण करती हैं।) इस आदि-सङ्कल्प द्वारा ईश्वर ने अपने समान अनेक प्रजा की उत्पन्न करने ( एकोऽहं बहु स्याम्-श्रुति–एक हैं, अनेक हे जाऊँ ) और उनके अपने ब्रह्मानन्द, दिव्य शक्ति, सामर्थ्य आदि के सम्प्रदान अर्थात् यज्ञ (. स्वाहा ) करने का सङ्कप किया और यही इस सृष्टि-यज्ञ का मुख्य तात्पर्य्य है।