गरुण पुराण : वेदव्यास | Garun Puraan : Vedvyas के बारे में अधिक जानकारी :
इस पुस्तक का नाम : गरुण पुराण है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Ved Vyas | Ved Vyas की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : Ved Vyas | इस पुस्तक का कुल साइज 32.3 MB है | पुस्तक में कुल 528 पृष्ठ हैं |नीचे गरुण पुराण का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | गरुण पुराण पुस्तक की श्रेणियां हैं : dharm, hindu
Name of the Book is : Garun Puraan | This Book is written by Ved Vyas | To Read and Download More Books written by Ved Vyas in Hindi, Please Click : Ved Vyas | The size of this book is 32.3 MB | This Book has 528 Pages | The Download link of the book "Garun Puraan" is given above, you can downlaod Garun Puraan from the above link for free | Garun Puraan is posted under following categories dharm, hindu |
पुस्तक का एक अंश नीचे दिया गया है : यह अंश मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियाँ संभव हैं, इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये |
कल्याणकारी संकल्प इमली कामु मं बु सुनय तमेवैति।
तिचा पोतो हमें मनः शिमलापमान। | जॉ जगते हुए पका हर माता का है और मोते हुए पुरा में हो न आ जत है । मामक सरकारका प्रधान सम है, जो भू. वय, वर्तमन् सकिए और व्यवति प्रदायका एकमात्र शत है और विषयका नम्रत कार्नकले । ६ का एक प्रकाशक और प्रवर्तक है. मैमा म मन कल्यपनी भगवान्बन्धी संकापने क हो।
पंत कामग्रिप पीषिगों में कप्त निदव भी।
यह मतः प्रजा के घर विमान कमन व चार विजिनक ग व अदाका र प्रत फरक में कका विकार को १ वी इयिका - अमन अत्यप है, । और अमन प्रशन्ने दमें निना मत है, मै म न छातात भग्नाम भाग 1 ।
। पानमुन लो भनि प्रयोगका प्रमु।।
| पात्र झते कि चाकर्म किया तो मजः तिमल्पमस्तु । जे विस प्रकारके इनका कारण है, जो साथ शा कलर है, जो गैप है, जो समस्त प्रजाके इयों को उनकी आमत इपको पुति म । ॐ गन मूल्य नेपा भी मा हा है और के क भी कम हो कि w करा । गा मा कागजी भगी । संकग म ।।
घेई भूत भुवन भविष्यत् गौतममृतेन सर्वम्। ।
और गाने मरा में नवम॥ जिस भास्वरुप म ग र घ और ममी भी वा पर की जाती हैं और जि पण त में अगि म प । म म मन्त्र णामी भगनाप्पी कापसे युक्त हो।
स्मिक समयमियमा परि नावियामाः।
शमशनरी सर्वात प्रान नये मन शायम॥ शिस में चक 4 लगे अरु मान है और समवेद प्रविष्टि । उक्ष में बगैर प्रतिष्ठित है, जिसमें प्रजाका सय दारोंसे सम्बन्ध रखनेवाला सम्पूर्ण न ओतप्रोत है, मेरा यह मत त्याणकारी भगवाझवी सेकसे युक्त हो।
सुधिरानि अन्ययात्रेनीयतेऽभभवति ।। | प
हमें मन स्यमन। ॥ साँध से पाहाँका संचालन और रुके हुए पेटका निवना काला है. वैसे ही हैं कि संचालन तथा नियन्त्रण कार्गका है, वे इद रहता है, जो कभी बूढ़ा नहीं होता और जो इन वेगवान् है, मेरा वह मन कल्याणकारी भगवासम्बन्धी संकल्पसे युक्त है।
very nice post keep up……….