गीता – प्रबंध भाग 2 | Gita Prabandh Part 2

गीता – प्रबंध भाग 2 | Gita Prabandh Part 2

गीता – प्रबंध भाग 2 | Gita Prabandh Part 2 के बारे में अधिक जानकारी :

इस पुस्तक का नाम : गीता – प्रबंध भाग 2 है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Shri Arvind | Shri Arvind की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : | इस पुस्तक का कुल साइज 06.5 MB है | पुस्तक में कुल 246 पृष्ठ हैं |नीचे गीता – प्रबंध भाग 2 का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | गीता – प्रबंध भाग 2 पुस्तक की श्रेणियां हैं : dharm

Name of the Book is : Gita Prabandh Part 2 | This Book is written by Shri Arvind | To Read and Download More Books written by Shri Arvind in Hindi, Please Click : | The size of this book is 06.5 MB | This Book has 246 Pages | The Download link of the book "Gita Prabandh Part 2 " is given above, you can downlaod Gita Prabandh Part 2 from the above link for free | Gita Prabandh Part 2 is posted under following categories dharm |


पुस्तक के लेखक :
पुस्तक की श्रेणी :
पुस्तक का साइज : 06.5 MB
कुल पृष्ठ : 246

Search On Amazon यदि इस पेज में कोई त्रुटी हो तो कृपया नीचे कमेन्ट में सूचित करें |
पुस्तक का एक अंश नीचे दिया गया है : यह अंश मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियाँ संभव हैं, इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये |

गीता के प्रथम छ: अध्याय उसकी शिक्षाओंके एक कांडके रूपमें विवृत किये गये है, यह कांड गीताकी साधना और ज्ञानका प्राथमिक आधार है; शेप बारह अध्याय भी इसी प्रकार दो परस्पर-संबद्ध काडोंके तौरपर विवृत किये जा सकते है, इनमें पूर्वोक्त प्राथमिक आधारके ऊपर ही गीता की शेष शिक्षाका विस्तार किया गया है। सातवेसे बारहवेंतकके अध्यायों में भगवान् स्वरूपका व्यापक तात्विक निरूपण है और फिर इसके आधारपर, जैसे गीताके प्रथम पट्कमें कर्म और ज्ञानमें परस्पर-संबंध स्थापित कर दोनोंका समन्वय साधित किया गया, वैसे ही इसे । द्वितीय पट्कमें ज्ञान और भक्तिमे परस्पर घनिष्ठ संबंध जोड़कर इन दोनोंका समन्वय किया गया है। इस बीच ग्यारहवें अध्यायमें विश्वपुरुपदर्शन आता है जो समन्वयकी इस भूमिकाको शक्तिशाली सक्रिय रूप प्रदान करती है |

You might also like
Leave A Reply

Your email address will not be published.