गुलज़ार की त्रिवेणिया | Gulzar Ki Triveniyan के बारे में अधिक जानकारी :
इस पुस्तक का नाम : गुलज़ार की त्रिवेणिया है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Unknown | Unknown की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : Unknown | इस पुस्तक का कुल साइज 53.2 KB है | पुस्तक में कुल 5 पृष्ठ हैं |नीचे गुलज़ार की त्रिवेणिया का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | गुलज़ार की त्रिवेणिया पुस्तक की श्रेणियां हैं : Poetry
Name of the Book is : Gulzar Ki Triveniyan | This Book is written by Unknown | To Read and Download More Books written by Unknown in Hindi, Please Click : Unknown | The size of this book is 53.2 KB | This Book has 5 Pages | The Download link of the book "Gulzar Ki Triveniyan" is given above, you can downlaod Gulzar Ki Triveniyan from the above link for free | Gulzar Ki Triveniyan is posted under following categories Poetry |
पुस्तक का एक अंश नीचे दिया गया है : यह अंश मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियाँ संभव हैं, इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये |
मां ने जिस चांद सी दुल्हन की दुआ दी थी मुझे आज की रात वह फुटपाथ से देखा मैंने रात भर रोटी नज़र आया है वो चांद मुझे सारा दिन बैठा,मैं हाथ में लेकर खाली कासा(भिक्षापात्र) रात जो गुज़री,चांद की कौड़ी डाल गई उसमें सूदखोर सूरज कल मुझसे ये भी ले जायेगा। सामने आये मेरे,देखा मुझे,बात भी की मुस्कराए भी,पुरानी किसी पहचान की खातिर कल का अखबार था,बस देख लिया.रख भी दिया।