ज्ञान योग : स्वामी विवेकांनद | Gyan Yog : Swami Vivekanand के बारे में अधिक जानकारी :
इस पुस्तक का नाम : ज्ञान योग है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Vivekanand, Swami Vivekanand | Vivekanand, Swami Vivekanand की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : Vivekanand, Swami Vivekanand | इस पुस्तक का कुल साइज 10.4 MB है | पुस्तक में कुल 340 पृष्ठ हैं |नीचे ज्ञान योग का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | ज्ञान योग पुस्तक की श्रेणियां हैं : dharm, hindu
Name of the Book is : Gyan Yog | This Book is written by Vivekanand, Swami Vivekanand | To Read and Download More Books written by Vivekanand, Swami Vivekanand in Hindi, Please Click : Vivekanand, Swami Vivekanand | The size of this book is 10.4 MB | This Book has 340 Pages | The Download link of the book "Gyan Yog" is given above, you can downlaod Gyan Yog from the above link for free | Gyan Yog is posted under following categories dharm, hindu |
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इस उत्थान और पतन के सम्बन्ध में और भी एक विपय जानने का है । वृक्ष से बीज होता है। किन्तु बह उसी समय फिर
नृ नहीं हो जाता । उसको कुछ विश्राम अथवा अति सूक्ष्म | अव्यक्त कार्य के समय की आवश्यकता होती है। वीज को कुछ | दिन तक मिट्टी के नीचे रह कर कार्य करना पड़ता है । उसे अपने | आप को खण्ड खण्ड कर देना होता है तया एक प्रकार से अपनी
अवनति करनी होती है और इसी अवनति से उसकी फिर उन्नति होती है। अतएव इस समस्त ब्रह्माण्ड को ही कुछ समय अदृश्य अव्यक्त भाव से सूक्ष्म रूप में कार्य करना होता है, जिसे प्रलय अपया सष्टि के पूर्व की अवस्था कहते हैं, उसके बाद फिर सष्टि होती है। जगत के इस प्रवाह के एक बार प्रकाशित होने कोअर्थात् सूक्ष्म रूप में परिणति, कुछ दिन तक उसी अवस्था में स्थिति, फिर आविर्भाव-इसी को कस कहते हैं। समस्त ब्रह्माण्ड इसी प्रकार
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