पैगम्बर मुहम्मद पति के रूप मे : अज्ञात | Paigambar Muhammad Pati Ke Roop Me : Unknown के बारे में अधिक जानकारी :
इस पुस्तक का नाम : पैगम्बर मुहम्मद पति के रूप मे है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Unknown | Unknown की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : Unknown | इस पुस्तक का कुल साइज 2.9 MB है | पुस्तक में कुल 64 पृष्ठ हैं |नीचे पैगम्बर मुहम्मद पति के रूप मे का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | पैगम्बर मुहम्मद पति के रूप मे पुस्तक की श्रेणियां हैं : dharm, islam
Name of the Book is : Paigambar Muhammad Pati Ke Roop Me | This Book is written by Unknown | To Read and Download More Books written by Unknown in Hindi, Please Click : Unknown | The size of this book is 2.9 MB | This Book has 64 Pages | The Download link of the book "Paigambar Muhammad Pati Ke Roop Me" is given above, you can downlaod Paigambar Muhammad Pati Ke Roop Me from the above link for free | Paigambar Muhammad Pati Ke Roop Me is posted under following categories dharm, islam |
पुस्तक का एक अंश नीचे दिया गया है : यह अंश मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियाँ संभव हैं, इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये |
हज़रत पैगंबर-उन पर इश्वर की कृपा और सलाम हो- अपनी पवित्र पत्रियों के साथ किस तरह व्यवहार करते थे? हजरत पैगंबर-उन पर इश्वर की कृपा और सलाम हो-अपनी गभी पवियों को भी और मुख दिया करते थे क्योंकि वह महिला के साथ व्यवहार के नियमों को अच्छी तरह जानते थे। वह सदा धर्म और संसार के कामों पर उनकी सहायता करते थे।
उनकी पवित्र पत्नियां और हमारी मोमिन भाएं कैसी थी यह एक प्रश्न हैं ? जिगका उत्तर यह है कि यदि हम हजरत मुहम्मद-इन पर इधर की कृपा और गलाम हो- की जिंदगी और मरत गम्मद-इन पर इधर की कृपा और आराम . परिव पनि पर लिखी गई पुस्तकों को बोलते हैं जो हमें पता चलता है और उन पस्तकों में शुमान रूप से यही मिलता है कि वे सब के सब रातों में बहुत प्रार्थना करने वालियां और रोज़ा और उपवास का ख्याल रखती थीं। उन सब को अल्लाह से अत्यंत निकटता प्राप्त था और वे अल्लाह की बहुत इबादत करती थीं। इसी कारण उन्हें इस महान सम्मान के माध सम्मानित किया गया था। उनको यर गम्मान मिला की गारे विभागियों की माता कहलाई। और इस जीवन में भी इज़रत पैगंबर-उन पर इश्वर की कृपा और सलाम हो- की पवित्र पत्नियां बनीं और इसके बाद आखिरत में भी हमारे प्रिय पैगंबर हजरत मुहम्मद मुस्तफा-उन पर इश्वर की कृपा और सलाम -की पवियां होंगी। वास्तव में उन्होंने अपने और अपने पालनहार के बीच के संबंध को ठीक और शुद्ध कर लिया था तो अल्लाह सर्वशक्तिमान ने उनके सांसारिक और आखिरत के कामों को
र कर दिया।
लेकिन अब हमारी बहनों और हमारे भाइयों की स्तिथि क्या?
मुझे पता है कि मेरे इस लेख को पढ़ने वालों में कुछ लोग विवाहित होंगे और कुछ लोग
पारित होंगे लेकिन अविवाहित भी अपने माता पिता और रिश्तेदारों और दोस्तों को देख कर वैवाहिक जीवन की बहुत सारी बातों को जानते होम |यहाँ प्र उठता है। कि हमारे इस समय में वैवाहिक जीवन की खुशिया क्यों दुर्लभ हैं? क्या मामी और कमी हमारे जमाने में है? नहीं, बल्कि वास्तव में कमी तो पुरुषों और महिलाओं समेत हम लोगों में है।
तथ्य यह है कि हमने इस जीवन को भातिवाद संस्कृति के द्वारा वांद कर के रस लिया है। हमने अपने धर्म, अपनी इस्लामी सभ्यता कोभुला दिया, और हम हजरत पैगंबर-उन पर इश्वर की कृपा और सलाम हो- शिराओं से दूर हो गए। हम अलाह के प्यार से दूर होगए और सार्वजनिक रूप से और खुलेआम पापों में डूब गए।