हिंदी गद्य का विकास : यज्ञदत्त शर्मा | Hindi Gadya Ka Vikas : Yagyadatt Sharma के बारे में अधिक जानकारी :
इस पुस्तक का नाम : हिंदी गद्य का विकास है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Yagyadutt Sharma | Yagyadutt Sharma की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : Yagyadutt Sharma | इस पुस्तक का कुल साइज 8.9 MB है | पुस्तक में कुल 150 पृष्ठ हैं |नीचे हिंदी गद्य का विकास का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | हिंदी गद्य का विकास पुस्तक की श्रेणियां हैं : education
Name of the Book is : Hindi Gadya Ka Vikas | This Book is written by Yagyadutt Sharma | To Read and Download More Books written by Yagyadutt Sharma in Hindi, Please Click : Yagyadutt Sharma | The size of this book is 8.9 MB | This Book has 150 Pages | The Download link of the book "Hindi Gadya Ka Vikas" is given above, you can downlaod Hindi Gadya Ka Vikas from the above link for free | Hindi Gadya Ka Vikas is posted under following categories education |
यदि इस पेज में कोई त्रुटी हो तो कृपया नीचे कमेन्ट में सूचित करें |
पुस्तक का एक अंश नीचे दिया गया है : यह अंश मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियाँ संभव हैं, इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये |
पुस्तक से पूर्व हिन्दी गद्य-साहित्य के विकास पर एक दृष्टि द्वाजने से पूर्व यह समझ लेना यावश्यक है कि हिन्दी-गद्य का विकास किन-किन परिस्थितियों में हुआ। जिस समय हिन्दी-गद्य का प्रादुर्भाव हुआ उस समय देश की क्या परिस्थिति थीं, समाज की क्या स्थिति थी, शिक्षा का कैसा विकास था और शिचित वर्ग का इष्टिकोण क्या था । केसी सभ्यत । का विकास हो रहा था, नमाज़ कितने वर्गों में विभाजित था । शासक और शासित के पारस्परिक सम्बन्ध कैसे थे ? जन-साधारण को आर्थिक दशा कैसी थी ? खेती और उद्योगों की क्या दशा थी ? जनता में अपनी स्थिति के प्रति संतोष था या असंतोष ।
हिन्दीगद्य के विकास का इतिहास भारतीय राष्ट्र की क्रांति की पृष्ठभूमि पर लिखा गया है। विदेशी सरकार और देश की जनता के विद्रोह की पूरी अनुभूति और उसका विकास हिन्दी-साहित्य की विभिन्न धाराओं में विकसित हुआ है । हिन्दी-गद्य का विकास सरकारी महयोग के फलस्वरूप नहीं हुआ । चहु साहित्यकारों की प्रतिभासम्पन्न रचनाओं और विकासोन्मुख प्रेरणाओं से अनुप्राणित करने वाली जनजागरण की प्रवृत्तियों द्वारा हुआ है । यही दशा हिन्दी-बाय के साथसाथ बैंगवा, गुजराती, मराठी, तेलगू, इत्यादि के गद्य-साहित्य की भी
अग्रेजी शासन के बन्धनों में जकड़ा जाकर भारतीय राष्ट्र मुर्दा नहीं हो गया। देश का वातावरण दो प्रकार के क्रांतिकारी वर्गों की विचारधारा से प्रभावित हुआ । एक वर्ग में हिंसात्मक क्रांति को अपनाया और दूसरे नै अहिंसात्मक क्रांति को । लोकमान्य तिलक की क्रांति