हिंदी के उपन्यासकार : यज्ञदत्त शर्मा | Hindi Ke Upanyaskar : Yagyadatta Sharma के बारे में अधिक जानकारी :
इस पुस्तक का नाम : हिंदी के उपन्यासकार है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Yagyadutt Sharma | Yagyadutt Sharma की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : Yagyadutt Sharma | इस पुस्तक का कुल साइज 8.4 MB है | पुस्तक में कुल 260 पृष्ठ हैं |नीचे हिंदी के उपन्यासकार का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | हिंदी के उपन्यासकार पुस्तक की श्रेणियां हैं : education, history
Name of the Book is : Hindi Ke Upanyaskar | This Book is written by Yagyadutt Sharma | To Read and Download More Books written by Yagyadutt Sharma in Hindi, Please Click : Yagyadutt Sharma | The size of this book is 8.4 MB | This Book has 260 Pages | The Download link of the book "Hindi Ke Upanyaskar" is given above, you can downlaod Hindi Ke Upanyaskar from the above link for free | Hindi Ke Upanyaskar is posted under following categories education, history |
यदि इस पेज में कोई त्रुटी हो तो कृपया नीचे कमेन्ट में सूचित करें |
पुस्तक का एक अंश नीचे दिया गया है : यह अंश मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियाँ संभव हैं, इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये |
हिन्दी-उपन्यासकार
हिन्दी का गद्य ज्यों-ज्यों विकसित और परिमार्जित होता चला त्यों-त्यों उसमें गद्य-साहित्य का स्रजन आरम्भ हो गया । हिन्दी-साहित्य में पन्यासों का उदय संस्कृत साहित्य की देन न होकर अंग्रेज़ी-साहित्य का प्रभाव हैं । हिन्दी में जब हम उपन्यास-साहित्य के प्राथमिक रूप पर दृष्टि डालते हैं तो हमारे सम्मुख कोई मौलिक रचना न कर कुछ बैंगला और अंग्रेजी के अनुबाद आते हैं । यारत में उपन्यास-साहित्य का हिन्दी में उदय मौलिक रचनाओं से न होकर अनुवादों से आरम्भ होता है-और उन अनुवादों में भी विशेष महत्व बँगला उपन्यासों का है । | अनुवाद की पृष्ठभूमि को छोड़कर जब हम उपन्यासों के मौलिक रचना-क्षेत्र में पदार्पण करते हैं तो हमारे सम्मुख तीन प्रधान उपन्यासकार बाबू देवकीनंदन खत्री, बाबू गोपाल राम गहमरी और पंडित किशोरी लाल गोस्वामी जी आते हैं। हिन्दी में यह उहन्यास-साहित्य का वाल-काल था जिसमें अदना-बैचित्र्य की प्रधानता रहती थी और भाचानुभूति रस-संचार तथा चरित्र चित्र का नितांत अभाव पाया जाता था। इस घटना-चिन्य में घटनाओं की फलावाङ्गी तो चे दर्जे की थी परन्तु जीवन के विविध पक्षों पर इप्टिपात करना लेखक अपना कर्तब्य नहीं