जैन परम्परा और प्रमाण | Jain Prampara Aur Praman

जैन परम्परा और प्रमाण | Jain Prampara Aur Praman

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इस पुस्तक का नाम : जैन परम्परा और प्रमाण है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Ailacharya Muni Vidyanand | Ailacharya Muni Vidyanand की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : | इस पुस्तक का कुल साइज 950 KB है | पुस्तक में कुल 26 पृष्ठ हैं |नीचे जैन परम्परा और प्रमाण का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | जैन परम्परा और प्रमाण पुस्तक की श्रेणियां हैं : history

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प्रयत्न किया जाना चाहिये कि जैन ग्रन्थो मे जहाँ भी इस परम्परा की अभिव्यक्ति हुई है, उसे वहाँ से उठा कर मबके सामने रखा जाए। जैनो का लोक-सस्कृति के विकास मे जो अवदान है उसकी भी पूर्वाग्रहमुक्त विवृत्ति होनी चाहिये । प्रश्न शायद यह नही है कि मोहन-जो-दडो की प्राचीन सस्कृति को किस प्रास्था या विश्वास, धर्म या दर्शन से जोड़ा जाए बल्कि इस तथ्य को कसौटी पर कसा जाना चाहिये कि मोहन-जो-दडो के उत्खनन मे जो सामग्री प्राप्त हुई है।

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